न गर्मी और धूप की चिंता, न ही आंधी, बारिश का डर,

भदोही के शिवभक्तों को प्रयागराज से काशी जल चढ़ाने के लिए चढ़ा है भोले की भक्ति का नशा

भदोही में श्रावण मास की शुरुआत के साथ ही कांवड़ यात्रा शुरू हो गई है। न गर्मी और धूप की चिंता न आंधी और बारिश का भय। आसमान से बिजली की तेज गर्जना का भी बिना परवाह करते हुए भोले के भक्त बोल-बम के जयकारे के साथ कांवड़ लेकरआगे बढ़ते जा रहे हैं। कालीन नगरी भदोही के शिवभक्त प्रयागराज से जल लेकर करीब 130 किलोमीटर की यात्रा कर काशी में बाबा विश्वनाथ के शिव लिंग पर जलाभिषेक कर रहे हैं।इस समय कांवरियों की भीड़ पूरे चरम पर है। भदोही नगर सहित उसके आस-पास के गांवों के काफी संख्या में शिवभक्त भगवा वस्त्र धारण कर अलग-अलग टोली बनाकर प्रयागराज रवाना हो रहे हैं। जहां दारागंज स्थित दशाश्वमेध घाट से गंगा जलभकर कांवरिए काशी विश्वनाथ के लिए रवाना हो रहे हैं। इस समय हर हर महादेव और बोल बम के जयकारों से पूरा वातावरण शिव मय हो गया है। शिवभक्त कांवरियों को कोई दिक्कत न हो इसके लिए नेशनल हाईवे की उत्तरी लेन को पूरे सावन माह के लिए कांवरियों के लिए सुरक्षित कर दी गई है। इस लेन पर सामान्य वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित है और डिवाइड कट को भी बांस बल्ली और बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया गया है। पूरे रास्ते भर पुलिस बल की तैनाती है। कालीन नगरी भदोही के शिवभक्त पूरे जोशो-खरोश के साथ कांवड़ लेकर रवाना हो रहे हैं। वहीं बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक कर वापस आ रहे हैं।

इनसेट

कांवड़ यात्रा की परंपरा है प्राचीन और पौराणिक

पं.रविंद्रनाथ दुबे ने बताया कि सनातन धर्म में कांवड़ यात्रा की परंपरा काफी प्राचीन और पौराणिक है।मान्यता है कि गंगा जल चढ़ाने से भगवान शिवभक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। पुराणों में बताया गया है कि कांवड़ यात्रा भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक सबसे सरल उपाय है। उन्होंने बताया कि प्रयागराज में कांवड़ यात्रा में शिवभक्तों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। सिर्फ कोरोना काल के कारण दो साल तक
कांवरिया की संख्या न के बराबर थी। लेकिन उसके बाद अब पूरे जोश के साथ कांवड़ यात्रा निकाली जा रही है।

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