Azamgarh news:विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय में रक्तदान शिविर व जागरूकता कार्यक्रम

कुलपति प्रो. संजीव कुमार बोले:रक्तदान राष्ट्र की सबसे बड़ी सेवा

नवयुवकों ने बढ़-चढ़कर किया रक्तदान, काबिले-तारीफ पहल

पटवध/आजमगढ़:आजमगढ़ जनपद के महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय आजमगढ़ परिसर के प्रशासनिक भवन में दीक्षोत्सव के अंतर्गत मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता एवं रक्तदान शिविर का वृहद आयोजन किया गया। क्योंकि आज विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस है , सुबह तकरीबन 10:00 बजे एक गाड़ी जिस पर लिखा था रक्तदान-महादान विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश की, तो छात्र-छात्राओं में कौतूहल उत्पन्न हुआ कि आखिर आज कोई बड़ा आयोजन विश्वविद्यालय में होने वाला है ,जब छात्र प्रशासनिक भवन की तरफ जाते हैं तो उन्हें विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की जानकारी होती है। इस कार्यक्रम के बाबत विस्तृत जानकारी के लिए न सिर्फ प्राध्यापक गण अपितु छात्र-छात्राओं ने भी काफी उत्सुकता दिखाई। कुछ नवयुवक रक्तदान के लिए स्वयं आगे आए जो निश्चय ही काबिले-तारीफ है। विश्वविद्यालय के मुखिया प्रोफेसर संजीव कुमार ने कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत फीता काटकर एवं ज्ञान की देवी मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया । इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अंजनी कुमार मिश्र, प्रयागराज से पधारे मनोविज्ञान के पूर्व निदेशक डॉ. कमलेश कुमार तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. सुमित कुमार सिंह मनोरोक विशेषज्ञ जिला चिकित्सालय आजमगढ़ की गरिमामयी उपस्थिति रही।विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. प्रवेश कुमार सिंह ने बताया कि कार्यक्रम का खूबसूरत आगाज विश्वविद्यालय के कुलपति जी के द्वारा जब किया गया तो सभी ने करतल ध्वनि से स्वागत किया, अपने आशिक संबोधन में कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार ने बताया कि रक्तदान से आत्मिक खुशी प्राप्त होती है, क्योंकि शरीर में जब नए रक्त का संचार होता है तो वह ज्यादा ऊर्जा उत्पन्न करता है और हम स्वस्थ महसूस करते है। इसलिए छात्र-छात्राओं एवं नवयुवकों से अनुरोध है कि रक्तदान करने से जरा भी हिचक महसूस न करें ।क्योंकि यह राष्ट्र के लिए सबसे बड़ा अवदान है । आप देश की सेवा इस प्रकार भी कर सकते हैं ।सरहद पर लड़ने वाला सेनानी तो जांबाज होता ही है ,परंतु प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्र की सेवा करने वाले का योगदान भी कम नहीं ।उसमें एक बड़ा योगदान रक्तदान का है, उसी कड़ी में आज मनोविज्ञान विभाग द्वारा यह वृहद आयोजन किया गया है। जिसके लिए निश्चय ही डॉ. रेनू व उनकी पूरी टीम साधुवाद की पात्र है । जहां तक आज विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस है का प्रश्न है निश्चय ही यह हमारे देश के लिए ही नहीं पूरे विश्व समुदाय के लिए एक बड़ी चुनौती है। वैसे चुनौतियों से सबक लेना ही सही मायने में जीवन है। निश्चय ही आत्महत्या कायरता की निशानी है क्योंकि अदृश्य शक्ति ने इतना खूबसूरत जीवन जीने के लिए दिया है। नवयुवको आप सिर्फ मां-बाप की उम्मीद नहीं, आप तो राष्ट्र की अमूल्य धरोहर हो। छोटी-छोटी घटनाएं, समस्याएं ,पीड़ा, वितृष्णा जीवन का गहना होती है, छात्र-छात्राएं ध्यान रखें अंधेरा होता है तो उजाले की दस्तक होती है। समस्याओं का हल हर हाल में निकलता है ।समस्याओं से जो डर गया समझो मर गया। इसलिए आप सभी से यह अपील है कि आत्महत्या जैसा अविवेकी कदम उठाकर परिवार के साथ-साथ समाज का कलंक न बने क्योंकि आपके इस कृत्य से समाज का ताना-बाना छिन्न भिन्न हो जाता है। सभी पारिवारिक मुखिया से एक अनुरोध है कि वह नवयुवकों छात्र-छात्राओं के ऊपर उम्मीदों का बोझ न लादे। इन नौनिहालों को जीने दे, वे जिस क्षेत्र में उड़ान भरना चाहते हैं उनके पंख को फ्री कर दें। निश्चय ही वे देश के लिए काफी उपयोगी साबित होंगे भरोसा रखिए आपका लाडला एवं लाडली सारे जहां में सबसे प्यारा है। बाकी यहां काउंसलिंग करने वाले मनोवैज्ञानिक बैठे हैं, वे बेहतर तरीके से आपको अवगत कराएंगे। मुख्य अतिथि के रूप में पधारे डॉ. कमलेश कुमार ने कहा कि कुलपति जी ने सही कहा जिंदगी जीने की चीज है, इसे व्यर्थ न गवाएं ।क्योंकि आप समाज की उम्मीद है ,यह ध्यान रखें आत्महत्या सिर्फ व्यक्तिगत समस्या नहीं है ,आप यह कहकर अपनी इह लीला समाप्त करते हैं कि जिंदगी मेरी है मैं चाहे जो करूं। यह कदापि उचित नहीं। जनमानस से भी अनुरोध है कि जब कोई ईस्ट मित्र अवसाद में हो तो उसकी मदद करें। और उसे यह विश्वास दिलाए की समस्याएं हल लेकर आती है। विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे डॉ. सुमित कुमार सिंह ने कहा कि आपके रक्तदान करने से कई जिंदगियां बचाई जा सकती है। मेरी समझ से यह सबसे बड़ा दान है। अचानक एक्सीडेंट के रोगी को आप द्वारा दिया गया रक्त जीवन दे सकता है ।इसलिए बिना डरे बिना हिचक रक्तदान करें। यह बहम कदापि न रखें कि आपको कमजोरी हो जाएगी। बल्कि कुलपति जी ने सही कहा आप रिचार्ज हो जाएंगे।

अंत में कुलसचिव डॉ. अंजनी कुमार मिश्र ने आए हुए आगंतुकों ,आयोजन समिति के सभी सदस्यों डॉ. रेनू तिवारी, डॉ. परमानंद ,डॉ .मोनिका रंजन डॉ. हरिश्चंद्र के साथ-साथ उनकी पूरी टीम को इस भव्य आयोजन के लिए बधाई दी तथा कुलपति जी के सहयोग एवं समय देने के लिए आभार व्यक्त किया।

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