UP news:इंसाफ़ की राह में उठी अदालत की कलम,जुल्म की दास्तां जब दीवारों ने भी दोहराई, कोतवाल समेत कई वर्दियों पर कार्रवाई छाई

वर्दी की आहट पर सवालों की बरसी बारिश, इंसाफ़ की चौखट पर खड़ी है नई गुहार की ख़ामोश फ़रियाद

आजमगढ़ 21 नवम्बर(आर एन एस) मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सत्यवीर सिंह की अदालत ने देवगांव थाने के तत्कालीन कोतवाल विनय कुमार मिश्रा, दो सब-इंस्पेक्टरों तथा चार कांस्टेबलों सहित कुल सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच कराने का आदेश दिया है। यह आदेश फर्जी मुकदमा दर्ज कराकर एक मुलजिम पर जानलेवा हमला करने के गंभीर आरोपों की जांच के बाद पारित किया गया।मामले की वादिनी लीलावती, निवासी रजमो (थाना देवगांव), ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से दायर प्रार्थना-पत्र में आरोप लगाया कि उनका बेटा विकास कुमार सामाजिक और राजनीतिक साजिश का शिकार बनाया गया। उनके अनुसार, 25 अप्रैल 2024 को तत्कालीन इंस्पेक्टर विनय कुमार मिश्रा अपने हमराहियों के साथ उनके घर पहुंचे थे, जहां विकास से कहासुनी हो गई। लीलावती ने इस घटना का वीडियो बना लिया। इसी बात से नाराज होकर इंस्पेक्टर मिश्रा ने साजिश के तहत विकास की प्रेमिका से उसके खिलाफ हत्या के प्रयास का झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया।लीलावती ने बताया कि 1 मई 2024 को दोपहर करीब 4 बजे, एक बरक्षा कार्यक्रम से लौटते समय पुलिस टीम विकास को उठा ले गई। इस घटना की सूचना उन्होंने तुरंत डायल-100 और पुलिस के उच्चाधिकारियों को दी। आरोप है कि रात करीब 11 बजे इंस्पेक्टर विनय कुमार मिश्रा, पल्हना चौकी इंचार्ज सुल्तान सिंह, उपनिरीक्षक रुद्रभान पांडेय, हेड कांस्टेबल शुभ नारायण, कांस्टेबल संजय दुबे, गुलाब यादव, विनोद सरोज समेत अन्य पुलिसकर्मियों ने मिलकर विकास को गोली मारकर उसकी हत्या करने की कोशिश की।इससे पहले सीजेएम कोर्ट ने लीलावती का प्रार्थना-पत्र खारिज कर दिया था। इसके विरुद्ध दायर निगरानी याचिका पर सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश (कोर्ट नंबर-1) अजय कुमार शाही ने निगरानी स्वीकार करते हुए मामला पुनः सुनवाई हेतु सीजेएम कोर्ट को वापस भेज दिया। लंबी सुनवाई के बाद सीजेएम सत्यवीर सिंह ने प्रार्थना-पत्र स्वीकार करते हुए सभी आरोपित पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश पारित किया।

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