Azamgarh news:शीतलहर न्यूनीकरण एवं प्रबंधन हेतु क्या करें, क्या न करें के सम्बन्ध में जिलाधिकारी ने निर्गत की एडवाइजरी
District Magistrate issues advisory on do's and don'ts for cold wave mitigation and management

आजमगढ़ 03 दिसम्बर: जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने बताया है कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, गृह मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा आयोजित कार्याशाला में प्रदान किये गये निर्देशों के क्रम में उ०प्र० राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा प्रदेश में शीतलहर न्यूनीकरण एवं प्रबंधन के सम्बन्ध में निर्गत एडवाइजरी की क्रियान्वयन सुनिश्चित किये जाने की अपेक्षा की गयी है। भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा वर्तमान वर्ष में प्रदेश के विभिन्न भागों में आगामी दिनों में शीतलहर/कड़ाके की ठंड की स्थिति विकसित होने की संभावना व्यक्त की गयी है। शीतलहर एवं पाला से बचाव हेतु क्या करें, क्या न करें आदि का जनपद स्तर, तहसील स्तर, ब्लॉक स्तर, ग्राम स्तर पर सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग द्वारा सोसल मीडिया, प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्रानिक्स मीडिया के माध्यम से प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों, स्थानीय न्यूज चौनल, रेडियो, सिनेमाघरों, मॉल आदि में निःशुल्क प्रचार-प्रसार कराये जाने हेतु निर्देश प्राप्त है।जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया है कि आश्रय स्थलों, अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य कोन्द्रों में पर्याप्त दवाओं, कम्बल, हीटर आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएं। उन्होने राजस्व एवं राहत विभाग को निर्देशित किया है कि अत्यधिक ठंड से प्रभावित कमजोर वर्गों हेतु राहत सामग्री की तैयारी रखी जाएं। उन्होने पशुपालन विभाग को निर्देशित किया है कि पशुओं हेतु ठंड से बचाव के उपाय (शेड, चारा, पानी) की व्यवस्था की जाएं। उन्होने कृषि विभाग को निर्देश दिया कि किसानों को फसलों की सुरक्षा हेतु कृषि मौसम आधारित परामर्श ससमय जारी की जाएं। उन्होने नगर पालिका/पंचायत को निर्देश दिया है कि रैन बसेरों का प्रबंधन एवं स्थिति की समीक्षा कर आवश्यक सुविधाएं (कम्बल, तखत, बड़े गद्दे, पिलो, बेडशीट, कुर्सी मेज, दैनिक रजिस्टर, बाल्टी-मग, पुरुष-स्त्री टॉयलेट/बाथरूम, अलाव, केयर टेकर एवं अन्य आवश्यक सुविधाएं)। विद्युत विभाग द्वारा रैन बसेरों में विद्युत प्रबंधन की उचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। ठंड से बचने के लिए लोग हीटर, अंगीठी, कोयला, लकड़ी आदि का उपयोग करते हैं जिससे आग लगने की संभावना बढ़ जाती है। आग से बचाव के लिए प्रचार प्रसार कर लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाएं। उन्होने जल विभाग को निर्देशित किया है कि रैन बसेरों में जल आपूर्ति की उचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।जिलाधिकारी ने कहा कि शीतलहर से बचाव हेतु पहले रेडियो सुनें, टीवी देखें, स्थानीय मौसम पूर्वानुमान के लिए समाचार पत्र पढ़ें ताकि यह पता चल सके कि क्या शीत लहर होने वाली है। पर्याप्त सर्दियों के कपड़े पहनें। कपड़ों की कई परतें शरीर को गर्म रखने में अधिक सहायक होती है। आपातकालीन आपूर्ति आवश्यकतानुसार आवश्यक आपूर्ति स्टोर करें एवं तैयार रखें। शीतलहर के दौरान फ्लू, बहती/भरी हुई नाक या नाक से खून जैसी विभिन्न बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है, जो आमतौर पर ठंड के लंबे समय तक सम्पर्क में रहने के कारण हो जाती है या बढ़ जाती है। इस तरह के लक्षणों के लिए डॉक्टर से सम्पर्क करें।उन्होने कहा कि शीतलहर के दौरान मौसम की जानकारी और आपातकालीन प्रक्रिया की जानकारी का बारीकी से पालन करें और सलाह के अनुसार कार्य करें। जितना हो सके घर के अंदर रहें और ठंडी हवा के संपर्क में आने से बचने के लिए कम से कम यात्रा करें। भारी कपड़ों की एक परत के बजाय ढीले फिटिंग, हल्के, विंडपू्रफ गर्म ऊनी कपड़ों की कई परतें पहनें। टाइट कपड़े ब्लड सर्कुलेशन को कम करते हैं। अपने आप को सूखा रखें। अपने सिर, गर्दन, हाथों और पैर की उंगलियों को पर्याप्त रूप से कवर करें क्योकि शरीर के इन अंगों के माध्यम से शरीर को ठंडक लगने का खतरा अधिक रहता है। दस्तानें पहने क्योंकि दस्ताने ठंडक से गर्मी और इन्सुलेशन प्रदान करते हैं क्योकि उंगलियां अपनी गर्मी साझाा करती हैं। और ठंड के लिए कम सतह क्षेत्र को उजागर करती है। ठंडक से बचने के लिए लिए टोपी और मफलर का प्रयोग करें। शरीर के तापमान का संतुलन बनाए रखने के लिए विटामिन-सी से भरपुर फल और सब्जियां खाएं। नियमित रूप से गर्म तरल पेय पदार्थ पिएं, क्योकि गर्म पेय पदार्थ ठंडक से लडंने कि लिए शरीर को गर्मी प्रदान करते हैं। तेल, पेट्रोलियम जेली या बॉडी क्रीम से नियमित रूप से शरीर की मालिश करें क्योंकि यह त्वचा को नमी प्रदान करते हैं। बुजुर्ग लोगों और बच्चों की देखभाल करें और अकेले रहने वाले पड़ोसियों का ख्याल रखें। गैर-औद्योगिक इमारतों के लिए गर्मी इन्सुलेशन गाइडलाइन का पालन करें। शीतलहर के सम्पर्क में आने पर हाथ पैर की उंगलियों, कानों और नाक की नोक पर सुन्नता, सफेद या पीलापन दिखना, शीतलहर के लक्षण हैं जिसके प्रति सतर्क रहें। तुरंत डॉंक्टर से सम्पर्क करें। कंपकपी को नजरअंदाज न करें। शीतलहर के प्रभाव का यह एक महत्वपूर्ण संकेत है शरीर गर्मी खो रहा हो तो जल्द से जल्द घर के अंदर गर्म स्थान रहने का प्रयत्न करें। फास्टबाइट/हाइपोथर्मिया से पीड़ित कोई व्यक्ति शरीर के तापमान में कमी के कारण कंपकपी, बोलने में कठिनाई, नींद न आना, मांसपेशियों में अकड़न, भारी, श्वास, कमजोरी और चेतना का नुकसान हो सकता है। हाइपोथर्मिया एक आपातकालीन चिकित्सा है जिसके लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता होती है। गर्मी उत्पन्न करने के लिये बंद कमरे के अन्दर कोयला/अंगीठी न जलायें क्योंकि इससे कार्बन मोनोऑक्साइड गैस उत्पन्न हो सकती है जो बहुत जहरीली होती है और कमरे में मौजूद लोगों की जान जा सकती है। विभिन्न बीमारियों, बहती/भरी हुई नाक जैसे लक्षणों के लिए तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें। पालतु-जानवरों को शीतलहर से बचाने के लिए जानवरों को बाड़े के अंदर ले जाएं एवं ख्याल रखें। एन.डी.एम.ए. द्वारा जारी किया गया मोबाइल ऐप यथा (Firs Aid for Students and Teachers) FAST and SACHETमोबाइल ऐप डाउनलोड करें।जिलाधिकारी ने कहा कि हाइपोथर्मिया के मामले में व्यक्ति को गर्म स्थान पर ले जाएं और उसके गीले कपड़े बदलें। व्यक्ति के शरीर को त्वचा के संपर्क में लाकर गर्म रखें, कपड़े, तौलिये या चादर की परतों से सुखायें। शरीर के तापमान को बढ़ाने में मदद करने के लिए गर्म पेय दें। शराब न दें। स्थिति बिगड़ने पर चिकित्सीय सहायता लें। इसके साथ ही लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने से बचें। शराब न पीए क्योकि यह शरीर के तापमान को कम करती है, और रक्त वाहिकाओं को संकुचित करती है। ठंडे से प्रभावित अंग की मालिश न करें। इससे अधिक नुकसान हो सकता है। कंपकपी को नजरअंदाज न करें। यह पहला संकेत है कि शरीर गर्मी खो रहा है, घर के अंदर शरण लें। प्रभावित व्यक्ति को तबतक कोई तरल पदार्थ न दें जबतक कि पूरी तहर से सचेत नह हो जाए।जिलाधिकारी ने कहा कि शीत लहर और पाला फसलों को नुकसान पहुंचाता है, खरीफ की फसलों की वृद्वि कम हो जाती है, पत्तियां जल जाती हैं। पत्तियों पर सफेद, भूरे धब्बे बन जाते हैं और पत्तियां सूख कर झुलस जाती है। जिससे उनमें काला रतुआ, सफेद रतुआ पछेती-सुषार आदि रोग उत्पन्न होते हैं। शीत लहर के कारण अंकुरण, वृद्वि पुष्पन, उपज और भंडारण अवधि में विभिन्न प्रकार के शारीरिक व्यवधान का कारण बनती है। इसके लिए ठंड से होने वाली बीमारी के लिए उपचारात्मक उपाया अपनायें जैसे बेहतर जड़ विकास को सक्रिय करने के लिए बार्डो मिश्रण या कॉपर ऑक्सी-क्लोराइड, फास्फोरस ओर पोटेशियम का छिड़काव करें। शीतलहर के दौरान जहां भी संभव हो, हल्की और बार-बार सतही सिंचाई करें। यदि संभव हो तो स्प्रिंकलर सिंचाई का उपयोग करें। ठंड प्रतिरोधी पौधों/फसलों/किस्मों की खेती करें। बागवानी और बागीचों में इंटरक्रॉपिंग (अन्तर फसल) खेती का उपयोग करें। टमाटर, बैगन जैसी सब्जियों की मिश्रित फसल, के साथ सरसो/अरहर जैसी लंबी फसलें ठंडी हवाओं (ठंड के खिलाफ आश्रय) के खिलाफ आवश्यक आश्रय प्रदान करेगी। सर्दियों के दौरना युवा फलदार पौधे को प्लास्टिक द्वारा ढक कर अथवा पुआल या सरकंडा घास आदि के छप्पर (झुग्गियां) बनाकर विकिरण अवशोषण को बढ़ाया जा सकता है। गर्म तापीय व्यवस्था प्रदान की जा सकती है। जैविक मल्चिंग (तापीय इन्सुलेशन के लिए)। विंड ब्रेक/शेल्टर बेल्ट लगाना (हवा गी गति को कम करने के लिए)।पशुपालन/पशुधन के सम्बन्ध में जिलाधिकारी ने बताया कि शीतलहर के दौरान, जानवरों और पशुधन को जीविका के लिए अधिक भोजन की आवश्यकता होती है क्योकि ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है। भैंसों/मवेशियों के लिए इस मौसम के दौरान जानवरों में तापमान में अत्यधिक भिन्नता पशुओं की प्रजनन दर को प्रभावित कर सकती है। इसके लिए ठंड हवाओं के सीधे संपर्क से बचने के लिए रात के दौरान सभी तरफ से जानवरों के आवास को ढ़क दें। पशुओं और मुर्गियों को ठंड से बचाने और गर्म कपड़े से ढकने की व्यवस्था करें। पशुधन आहार पद्वति और आहार पूरकों में सुधार करें। उच्च गुणवत्ता वाले चारे या चारागाहों का उपयोग। वसायुक्त खुराक प्रदान करें- आहार सेवन, खिलाने और चबाने के व्यवहार पर अनुपात केंद्रित करें। जलवायु अनुकूल शेड का निर्माण करें जो सर्दियों के दौरान अधिकतम सूर्य प्रकाश तथा गर्मियों के दौरान कम विकिरण की अनुमति देता है। सर्दियों के दौरान पशुओं के नीचे सूखा भूसा जैसी कुछ बिछावन सामग्री डालें। इन परिस्थितियों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त नस्लों (फिट नस्लों) का चयन करें। इसके साथ ही शीतलहर के दौरान पशुओं को खुले स्थानों में न बांधे घूमने न दें। शीतलहर के दौरान पशु मेले से बचें। जानवरों को ठंडा चारा और ठंडा पानी देने से बचें। पशु आश्रय में नमी और धुएं से बचें। मृत पशुओं के शवों को पशुओं के नियमित चरने वाले मार्गों पर नहीं फेंका जाना चाहिए।जिलाधिकारी ने परिवहान विभाग को निर्देश दिया कि शीतलहर से बचाव हेतु दुर्घटनाओं से बचाव के लिए सतर्क रहें। कोहरे और कम दृश्यता में सभी वाहनों को सावधानी से चलने के निर्देश दें। सड़कों पर रिफ्लेक्टर पेंट और कैट्स-आई ठीक से लगवाएं, ताकि रात की दृश्यता बनी रहे। सड़कों की स्थिति की निगरानी करें। फिसलन वाले इलाकों (ब्रिज, ओवरब्रिज, नमी वाले रास्ते) पर नमक या रेत का छिड़काव करें। कोहरे में धीरे चलने के लिए जागरूक करें। चालकों को Slow Speed और Keep Headlights On के बोर्ड लगाकर सचेत करें। अगर किसी क्षेत्र में दृश्यता बहुत कम है तो वहां से डायवर्जन की व्यवस्था करें। पुलिस कर्मियों के लिए ऊनी वस्त्र और गर्म पेय की व्यवस्था करें, ताकि वे ठंड में ड्््यूटी कर सकें। वायरलेस/फोन पर निरंतर अपडेट लें कि कहां पर ट्रैफिक जाम या दुर्घटना की संभावना है। एम्बुलेंस और रिकवरी वैन तैयार रखें, आपात स्थिति में तुरंत मदद पहुंचाने के लिए।इसके साथ ही कोहरे में तेज गति से वाहन न चलने दें। सड़क पर अनावश्यक रूकावटें न लगाएं, इससे दुर्घटना का खतरा बढ़ता है। बिना रिफ्लेक्टर या लाइट वाले वाहनों को सड़क पर चलने की अनुमति न दें। ड्यूटी पॉइंट छोड़कर न जाए, ठंड के समय भी पोस्ट पर उपस्थिति बनाए रखें। ड्राइवरों को बिना चेतावनी न जाने दें, सभी को सुरक्षा नियमों की जानकारी दें। फिसलन या अत्यधिक ओंस/बर्फ जमी सड़क पर भारी वाहनों को तेज गति से न जाने दें। आपात स्थिति में देरी न करें, तुरंत उच्च अधिकारियों को सूचित करें।जिलाधिकारी ने समस्त संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया है कि शीतलहरी न्यूनीकरण एवं प्रबंधन के सम्बन्ध में निर्गत एडवाइजरी ’’क्या करें क्या न करें’’ का क्रियान्वयन सुनिश्चित कराते हुए जन समुदाय में विस्तृत प्रचार-प्रसार कराया जाना सुनिश्चित करें।


