आजमगढ़:नियमों को ताक पर रख कर चल रहा है पेट्रोल पंप,सुविधाओं का ध्यान महज दिखावा

रिपोर्ट:सुमित उपाध्याय

अहरौला/आजमगढ़:निर्धारित मापदंडों को ताक पर रखकर चलाए जा रहे हैं पेट्रोल पंप, लाइसेंस मिलने के बाद नहीं रहता ग्राहकों की सुविधाओं का ध्यान महज दिखावे के लिए पेट्रोल पंपों पर लगी हैं हवा भरने की इलेक्ट्रॉनिक मशीनें यूं तो सरकार द्वारा जब पेट्रोल पंप का लाइसेंस जारी किया जाता है तो उसमें आम जनमानस एवं ग्राहकों के सुविधाओं एवं अधिकारों को दृष्टिगत रखते हुए कुछ आवश्यक नियम एवं शर्तों के आधार पर पेट्रोल पंप के मालिकों को लाइसेंस प्रदान किया जाता है पेट्रोल पंपों पर कुछ मूलभूत सुविधाएं ग्राहकों एवं आम जनमानस को अनिवार्य एवं निशुल्क प्रदान की जाती हैं उन सुविधाओं में ग्राहकों को स्वच्छ पीने योग्य पानी, इमरजेंसी के समय फोन की सुविधा, गाड़ियों में हवा भरने की व्यवस्था, दिव्यांग, महिला एवं ग्राहक को शौचालय की व्यवस्था, प्राथमिक उपचार हेतु व्यवस्था, एवं शिकायत पेटिका या रजिस्टर इत्यादि सुविधा ग्राहकों को निशुल्क प्रदान की जाती हैं परंतु लाइसेंस मिलने के बाद ग्रामीण क्षेत्र में संचालित ज्यादातर पेट्रोल पंप के संचालकों द्वारा नियमों को ताक पर रखकर ग्राहकों की सुविधाओं का हनन कर पेट्रोल पंप का संचालन किया जाता है और यह पेट्रोल संचालक ग्राहकों को देने वाली सुविधाओं को भूल जाते हैं और उसे नजर अंदाज करते हैं ताजा मामला अहिरौला क्षेत्र के आसपास चल रहे ज्यादातर पेट्रोल पंपों का है जहां पेट्रोल पंप पर लगी हवा भरने की इलेक्ट्रॉनिक मशीनें सिर्फ शोपीस बनी हुई है कुछ मशीन महीनों से बंद पड़ी है इस संबंध में जब पेट्रोल पंप के संचालकों से जानकारी ली गई तो अलग-अलग पेट्रोल संचालकों ने अलग-अलग बातें बताई किसी संचालक ने बताया कि मशीन काफी दिनों से खराब पड़ी है जिसकी शिकायत हमने शिकायतकर्ता के यहां दर्ज कर दी है तो वही कुछ पेट्रोल पम्प संचालक ने बताया कि जब कोई ग्राहक हवा भरने के लिए कहता है तो मशीन चला कर हवा भर दिया जाता है नहीं तो फिर हवा भरने की इलेक्ट्रॉनिक मशीन बंद कर दिया जाता हैं क्योंकि काफी भारी मशीन लगाई गई है जो कि ज्यादा ईंधन खींचती है वहीं कुछ पेट्रोल पंप पर ना तो शिकायत बॉक्स दिखाई दिया और ना ही प्राथमिक उपचार हेतु कोई सुविधा दिखाई दी ऐसे में आखिर कब तक ग्राहकों एवं आम जनमानस को पेट्रोल पंप पर मिलने वाले निशुल्क सुविधाओं से दूर रखा जा सकता है आखिर इन सब का जिम्मेदार कौन ? और संबंधित अधिकारी नहीं ले राहें है इसका संज्ञान।

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