दैत्यकुल में रहते हुए भी प्रहलाद जी भगवान के महान भक्त हुए जबकि उनके पिता हिरण्यकशिपु दैत्य:डॉक्टर श्री प्रकाश मिश्रा

देवरिया:देव या दैत्य होना अपने हाथ में उक्त बातें ग्राम नौका टोला बेलडाड में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए कथा व्यास डॉक्टर श्री प्रकाश मिश्रा जी ने कहीं ।उन्होंने कहा कि देव होना या दैत्य होना अपने हाथ में है ।दैत्यकुल में रहते हुए भी प्रहलाद जी भगवान के महान भक्त हुए जबकि उनके पिता हिरण्यकशिपु दैत्य । हिरण्यकशिपु ने सारी संपत्ति का उपयोग लोगों को सताने में किया जबकि प्रहलाद जी ने संपत्ति का उपयोग गरीब ,दीन दुखियों की सेवा व प्रभु भक्ति में किया अतः वह देव बन गए ।जब हिरण्यकशिपु ने ब्रह्मा जी से अमरत्व का वरदान मांगा की ना तो दिन में मरूं ना रात में ना घर में मरूं ना घर के बाहर न धरती पर मरूं ना आसमान मे न अस्त्र से न शस्त्र से न जो अस्त्र से न आपके द्वारा बनाए हुए प्राणी से न अप्राणी से ।वरदान प्राप्त कर पूरे त्रिलोक में धर्म कर्म बंद करा दिया ।जहां जहां गो,ब्राह्मण, वेद पाठशाला था आग लगवा दिया, हवन पूजा पाठ बंद कर दिया सारी जनता त्राहि त्राहि कर उठी थी ।तब सारे देवताओं ने मिलकर भगवान की स्तुति किया उसी समय आकाशवाणी हुई की जब हिरण्यकशिपु अपने पुत्र प्रहलाद को करने को मारने चलेगा उसी समय उसका वध कर दूंगा। समय आने पर प्रहलाद जी का जन्म हुआ ।प्रहलाद जी जन्म से ही भगवान की भक्ति में डूब गए जब 7 वर्ष के हुए तो गुरुकुल में अध्ययन हेतु गए वहां सभी दैत्य बालको को भगवान की भक्ति का पाठ पढ़ा दिया। तब हिरण्यकशिपु ने यह बात जानकर आग बबूला होकर प्रहलाद जी से पूछा कि क्या तेरा भगवान इस खम्भे में भी है तो प्रहलाद जी बड़े विनम्रता से कहा कि हां है इतना सुनते ही घूसे के प्रहार से खम्भे को तोड़ दिया खम्भा टूटते ही भगवान श्री नरसिंह भगवान के रूप में प्रकट होकर हिरण्यकशिपु का अपने जघे पर सुला कर बध कर दिया ।इस अवसर पर यजमान श्रीमती मुन्नी देवी, जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजेश कुमार मिश्रा ,उमाशंकर मिश्रा , संतोष मिश्रा ,मनोज मिश्रा वीरेंद्र मिश्रा ,उमेश कुमार मिश्रा, विनोद मिश्रा ,दिलीप मिश्रा, सर्वेश ,अवनीश ,श्रीधर, अखिलेश तिवारी ,संतोष दुबे, डॉक्टर प्रेम शंकर मणि श्री रविंद्र दुबे आदि ने कथा का रसपान किया

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