कई गांव में आंगनबाड़ी केंद्र का अभाव में बच्चों के भविष्य पर संकट।
जिला संवाददाता, विनय मिश्र,देवरिया।
मिशन इंद्रधनुष के तहत प्रत्येक गांव में छोटे बच्चों को पोलियों ड्राप एवं अन्य रोगो से बचाव के लिए टीकाकरण किया जा रहा है जिस गांव में स्वास्थ्य केंद्र नहीं है वहां पर आंगनबाड़ी केंद्रों पर यह टीकाकरण किया जाना है। इस टीकाकरण में आंगनबाड़ी संचालिका सहित आशा कार्यकर्त्रियों एवं नर्सिंग स्टाफ की ड्यूटी लगाई गई है लेकिन आंगनबाड़ी केंद्र के अभाव में यह टीकाकरण गांव में किसी भी व्यक्ति के घर पर बैनर लगाकर किया जा रहा है। सरकार के पिछले कार्यकाल में लाखों रुपए की लागत से क्षेत्र के प्रत्येक गांव में लगभग 5 साल पहले आंगनबाड़ी केंद्र बनाया गया। इन भवनों का निर्माण सफेद बालू दोयम ईंट से किया गया जो बनने से साथ ही टूटना शुरू हो गया। कहीं प्लास्टर छोड़ दिया तो कहीं छत फट गए जिसका नतीजा यह हुआ कि अधिकतर गांव में आंगनबाड़ी संचालिका ने डर के मारे अपने हाथ में नहीं लिया क्योंकि यह यदि गिर गया और कोई दुर्घटना हो गई तो मुसीबत हम पर आ जायेंगे। सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र कई गांव में पूरा नहीं बना जिसमें से हाटा गांव में यह बनकर तैयार ही नहीं हुआ और कौसड़ ग्राम सभा में बनकर तैयार है किन्तु शौचालय निर्माण कार्य पूरा नहीं होने और छत फट जाने के कारण संचालिका ने इसे अपने हाथ में लेने से इनकार कर दिया इसलिए सोशल मीडिया के माध्यम से हाटा गांव के अधिवक्ता हेमंत श्रीवास्तव एवं कौसड़ गांव के शिक्षक प्रसेन जीत सिंह ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए इसकी उच्च स्तरीय अधिकारियों से जांच कराने की मांग किया है। ताकि भविष्य में कोई भी ठेकेदार बच्चों के भविष्य के साथ इस तरह काम करने का दुस्साहस नहीं कर सकें।