यज्ञ से मन की शुद्धि के साथ साथ प्रकृति छवि पर्यावरण वातावरण संतुलित रहती है।

 

 

रिपोर्ट संजय सिंह

 

रसड़ा (बलिया) लक्ष्मी नारायण यज्ञ के सतवें दिन सोमवार को श्रीनाथ मठ के परिसर में 25 जून से 3 जुलाई तक चल रहे यज्ञ अनुष्ठान यज्ञाचार्य श्रीरामबली महराज ने श्रीमद्भागवत कथा में भगवान लक्ष्मी नारायण की महिमा का विस्तार पूर्वक वर्णन करते हुए श्रद्धालुओ को अपने योजस्वी मुखारविंदू रसपान कराते हुए कहा कि मानव को जीवन के लिए भगवान की भक्ति उपासना तथा जीवन में यज्ञ अनुष्ठान दान पुण्य का महत्व है जिसे भगवान प्रसन्न रहते है। जिससे मानव के जीवन में भवबाधा से दूर रहता है मन शुद्धि के साथ साथ प्रकृति की छवि पर्यावरण वहां की जलवायु वातावरण संतुलित रहती है।उन्होने कहा कि भगवान् के अनेक रूप है भगवान विष्णुजी की राम व कृष्ण के रूप में अवतरित होकर धर्म मे आने वाले भवबाधा को दूर कर ॠषि मुनियों से यज्ञ सम्पन्न कराये जिसे भगवान नारायण को भजन भाव याद करने से जीवन सफल हो जाता है।लक्ष्मी नारायण महायज्ञ से क्षेत्र में पर्यावरण वातावरण शुद्ध रहता है। जीवन में दु:ख सुख जीवन का एक पहलू है आता है जाता है जिसे हमें संकट के घड़ी में भगवान को स्मरण करना ही मनुष्य का कर्तव्य है जिससे भक्तबत्सल भगवान नारायण के कृपा से मनुष्य का जीवन के, अंत काल तक सुखमय व्यतीत होता है उन्होने कहा लोगो को थोड़ा समय निकाल कर भगवान से प्रेम उन्हें याद करना चाहिए अपने कर्म कमाई का कुछ बचा कर असहाय असमर्थ लोगों का सेवा करना चाहिए जिससे उस मनुष्य का आने वाले समय सुख समृद्धि से सुखमय जीवन व्यतीत होता है।

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