पर्यावरण अनुकूल मनाएं होली त्यौहार – भवानजी

मूक जीवों को न सताने की अपील

 

रिपोर्ट-अजय उपाध्याय
मुंबई: भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं मुंबई महानगरपालिका के पूर्व उपमहापौर बाबूभाई भवानजी ने देशवासियों से होली और धूलिवंदन त्यौहार को खुशी के साथ पर्यावरण अनुकूल मनाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा है कि 25 मार्च को होली मनाई जाने वाली है। पानी और रंग छिड़क कर यह त्यौहार मनाया जाता है। उत्सव प्रेमी इस त्यौहार में बदलाव कर प्लास्टिक की थैलियों में पेंट और पानी
भरकर एक-दूसरे को मारकर जश्न मनाते हैं। यह प्लास्टिक फुग्गा हानिकारक और खतरनाक होते हैं। पर्यावरण की रक्षा के लिए और विवाद से बचने के लिए प्लास्टिक के फुग्गे के इस्तेमाल से बचना ही बेहतर है। साथ ही होली के ये प्लास्टिक फुग्गे स्वास्थ्य
को नुकसान पहुंचाते हैं। प्लास्टिक कचरे के कारण शहर की सुंदरता पर भी असर पड़ता है। डामर वाली सड़क पर यही प्लास्टिक तेजी से पिघलकर चिपक जाती है और आसानी से नहीं निकलती। सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के मुताबिक 50 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल प्रतिबंधित है। हालांकि शहर के बाजार में होली के लिए प्लास्टिक फुग्गे और केमिकल रंगों की बिक्री जोरों पर है लेकिन नागरिकों को प्लास्टिक बैग और रासायनिक रंग नहीं खरीदने चाहिए। पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक का उपयोग कम करना जरूरी है। भवानजी का कहना है कि होली के त्यौहार में पर्यावरण पूरक प्राकृतिक रंगों के साथ जश्न मनाना चाहिए। होली में प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग न करें और न ही रासायनिक रंगों का उपयोग करें। वरिष्ठ भाजपा नेता बाबूभाई भवानजी ने देशवासियों से अनुरोध किया है कि होली के त्यौहार पर मूकजीवों जैसे कुत्ता, बिल्ली, गाय, भैस आदि पर कोई भी रंग न डाले, क्योंकि रंग में स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक केमिकल होते हैं। डॉ नरेंद्र गुप्ता ने कहा कि मूक पशु अपने आप को साफ करने के लिए अपने शरीर को जीभ से चाटते हैं, और वह घातक केमिकल उनके पेट में चला जाता है। जिससे वे बीमार पड़ जाते हैं, या फिर मर जाते हैं। इस त्यौहार के दौरान उपयोग किए जाने रंग गुलाल आदि सिंथेटिक रंगों से बने होते हैं, जिनमें जहरीली धातुएं या रसायन होते हैं, जो लोगों और जानवरों में त्वचा की एलर्जी, चकत्ते होने, यहां तक ​​​​कि अंधेपन का कारण बन सकते हैं। जानवर आसानी से पाउडर को सूंघ सकते हैं, जिससे नाक में जलन और श्वसन संबंधी एलर्जी या संक्रमण हो सकता है। जो जानवर खुद को संवारते समय इसे खाते हैं, वे पेट की बीमारियों या अन्य बीमारियों से पीड़ित हो सकते हैं, या फिर मर भी सकते हैं। पाउडर से रंगा हुआ पानी पीने से कुत्तों में बाल झड़ने और त्वचा रोग की समस्याएं भी हो सकती हैं। चूंकि पशु-पक्षी अपनी व्यथा किसी से कह नहीं सकते, लिहाजा मानवता के नाते और उक्त गंभीर समस्याओं को मद्देनजर रखते हुए लोगों को इन मूक जीवों पर किसी भी प्रकार का रंग डालने से बचना चाहिए। भवानजी ने देशवासियों को होली की अग्रिम शुभकामनाएं भी दी हैं।

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