महाराष्ट्र : सीएजी ने आय व व्यय के बीच जारी अंतर के कारण बढ़ते राजकोषीय घाटे पर जताई चिंता
Maharashtra: CAG expressed concern over the increasing fiscal deficit due to the ongoing difference between income and expenditure
मुंबई, 12 जुलाई:भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने महाराष्ट्र में आय और व्यय के बीच लगातार जारी अंतर के कारण बढ़ते राजकोषीय तनाव पर चिंता जताई है।
राज्य विधानसभा में शुक्रवार को पेश 31 मार्च, 2023 तक के राज्य के वित्त पर अपनी रिपोर्ट में सीएजी ने कहा कि आय के मुकाबले बहुत अधिक व्यय यह दर्शाता है कि किस हद तक कर्ज का इस्तेमाल वर्तमान उपभोग या खर्च के लिए किया गया।
राजस्व घाटे और राजकोषीय घाटे का उच्च अनुपात यह दर्शाता है कि राज्य का परिसंपत्ति आधार लगातार कम हो रहा है और उधारी (राजकोषीय देनदारियों) चुकाने के लिए कोई परिसंपत्ति बैकअप नहीं है।
सीएजी ने कहा कि बजट को और अधिक यथार्थवादी बनाने की आवश्यकता है। क्योंकि बजट में आवंटित कुल धनराशि का 18.19 प्रतिशत खर्च नहीं किया जा सका। वर्ष 2022-23 के दौरान किया गया कुल व्यय, मूल बजट में आवंटित राशि से छह प्रतिशत कम था।
अनुपूरक अनुदान/विनियोजन के साथ-साथ पुनर्विनियोजन के तहत प्राप्त राशि में से भी एक बड़े हिस्से का इस्तेमाल नहीं किया जा सका।
राजकोषीय स्थिरता जोखिम के सवाल पर सीएजी ने पाया कि ऋण स्थिरीकरण संकेतक वर्तमान में स्थिर है।
सीएजी ने कहा, “प्राथमिक घाटे से युक्त ऋण स्थिरीकरण संकेतक में इस अवधि (2019-21) में गिरावट आई और कोरोना के बाद के वर्ष में इसमें धीरे-धीरे वृद्धि देखी गई।”
सीएजी ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद जीएसडीपी के लिए सार्वजनिक ऋण और जीएसडीपी के लिए समग्र देयता में सुधार से पता चलता है कि ऋण की स्थिति खराब नहीं हो रही है। यह अभी तक उस सीमा तक नहीं पहुंची है, जहां यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि ऋण स्थिरीकरण ऊपर की ओर बढ़ रहा है।
राज्य का बकाया ऋण (राजकोषीय देयताएं) 2018-19 में 4,36,781.94 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 के अंत में 6,60,753.73 करोड़ रुपये हो गया। 2022-23 के दौरान जीएसडीपी के लिए बकाया ऋण अनुपात 18.73 प्रतिशत राजकोषीय उत्तरदायित्व बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम (18.14 प्रतिशत) द्वारा निर्धारित सीमाओं से अधिक था।
हालांकि वर्ष 2022-23 के लिए बकाया ऋण मध्यम अवधि राजकोषीय नीति के अनुसार किए गए अनुमानों के करीब रहा, लेकिन नाममात्र जीएसडीपी अनुमानित स्तरों तक नहीं पहुंच पाया। इसलिए, राज्य कुल बकाया देयता से जीएसडीपी अनुपात के लिए निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाया।
सीएजी ने कहा,”कुल मिलाकर, 2022-23 में प्रतिबद्ध और अनम्य व्यय 2,67,945.58 करोड़ रुपये, राजस्व व्यय का 65.73 प्रतिशत था। प्रतिबद्ध और अनम्य व्यय में वृद्धि की प्रवृत्ति सरकार के समक्ष अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर खर्च करने की संभावना को कम कर देती है।”
सीएजी ने सुझाव दिया कि सरकार कर और गैर-कर स्रोतों के माध्यम से अतिरिक्त संसाधन जुटाने पर विचार कर सकती है, ताकि राज्य के राजस्व में वृद्धि हो सके।
सीएजी के मुताबिक सरकार को निवेश के लिए ऐसे क्षेत्रों को चयन करना चाहिए, जहां बेहतर परिणाम मिल सके।
राज्य सरकार को व्यय को युक्तिसंगत बनाने, आय के स्रोतों की खोज करने, राजस्व आधार का विस्तार करने और राजस्व पैदा करने वाली परिसंपत्तियों में निवेश पर जोर देना चाहिए। दीर्घकालिक राजकोषीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए कर्ज से ली गई राशि का बेहतर प्रबंधन करना चाहिए।
इसके अलावा, कैग ने इस बात पर जोर दिया है कि राज्य सरकार को विभागों की जरूरतों और आवंटित संसाधनों का उपयोग करने की उनकी क्षमता पर विचार करते हुए यथार्थवादी बजट तैयार करना चाहिए।
कैग ने कहा, “सरकार द्वारा बजट के उचित कार्यान्वयन और निगरानी को लागू करने के लिए एक समर्थ नियंत्रण तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है। जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि बचत में कटौती की जाए, अनुदान/विनियोजन के भीतर बड़ी बचत को नियंत्रित किया जाए और प्रत्याशित बचत की पहचान की जाए। कैग के मुताबिक बजट प्रावधान से अधिक व्यय के लंबित नियमितीकरण के सभी मामलों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।”