डुसू इलेक्शन लड़ेंगे ‘आइसा’ और ‘एसएफआई’

AISA and SFI will fight DUSU elections together

डूसू चुनाव मिलकर लड़ेंगे ‘आइसा’ और ‘एसएफआई’

नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी में सोमवार को दिल्ली ‘आइसा’ की सचिव नेहा और एसएफआई दिल्ली की सचिव आइशी घोष ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। उन्होंने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय में आगामी छात्रसंघ चुनाव दोनों संगठन मिलकर लड़ेंगी और चुनाव के लिए नॉमिनेशन फाइल होने के बाद ये अपना घोषणा पत्र जारी करेंगे।

 

सोमवार को ‘आइसा’ की छात्र नेता नेहा ने आईएएनएस से बात करते हुए बताया कि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर आइसा (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन) अपना उम्मीदवार उतारेगी, वहीं सचिव और संयुक्त सचिव के पद पर ‘एसएफआई’ (स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया) का उम्मीदवार होगा।

नेहा ने आईएएनएस को बताया, ‘आइसा’ और ‘एसएफआई’ आगामी छात्रसंघ का चुनाव कॉमन एजेंडे पर लड़ेंगे। दोनों छात्र संगठनों के मुद्दे एक जैसे और छात्र हित में रहे हैं। फीस बढ़ोत्तरी और महिला सुरक्षा चुनाव में महत्वपूर्ण मुद्दा रहेगा।

एलायंस बनाने को लेकर उन्होंने कहा कि आज देश में जितनी भी ऐसी ताकतें हैं, जो चाहती हैं कि समाज आगे बढ़े, उन सभी को साथ में आने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि छात्रों को आज जो बस पास दिल्ली में मिलता है, उसकी लड़ाई ‘आइसा’ ने लड़ी थी। खास बात थी कि बिना जीते ‘आइसा’ ने ये लड़ाई लड़ी थी, और छात्रों को बस पास दिलवाया था।

एबीवीपी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि उन लोगों ने जितना पैसा अपने प्रचार में खर्च किया है, उसको छात्र के हितों में खर्च करके दिखाएं। उनके पास बहुत पैसा है, लेकिन हमारे पास मुद्दे हैं। इन मुद्दों पर उनके मनी व मसल्स के खिलाफ लड़ रहे हैं। ये लड़ाई हम काफी पहले से एबीवीपी के साथ लड़ते आए हैं। एबीवीपी के खिलाफ एनएसयूआई को भी हम अपने साथ जोड़ना चाह रहे थे, लेकिन वो नहीं जुड़े, ये बहुत ही दुख के बात है।

‘एसएफआई’ दिल्ली की सचिव आइशी घोष ने आईएएनएस को बताया, 27 सितंबर होने वाले छात्रसंघ चुनाव में हमारी रणनीति साफ है। ‘आइसा’ और एसएफआई मिलकर चुनाव लड़ेंगे। छात्रसंघ के चुनाव के लिए मनी मसल्स की राजनीति की जा रही है, करोड़ों रुपए फूंके जा रहे हैं। लेक‍िन छात्रों के मुद्दों को लेकर चुनाव के मैदान में हैं।

उन्‍होंने कहा, एबीवीपी कोई भी परिवर्तन लाने में असमर्थ है। वह 10 सालों से यूनियन में हैं, लेकिन वो काम पर बात नहीं करते हैं। हमारा कहना है कि जो छात्र हितों की बात नहीं करेगा, उसका यूनियन में कोई काम नहीं है।

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