भिवंडी मनपा में लूट मची है लूट मुख्यालय से अचानक गायब हुए ८५ सीसीटीवी (CCTV) कैमरे

There is loot going on in Bhiwandi Municipal Corporation. 85 CCTV cameras suddenly disappeared from the headquarters.

हिंद एकता टाइम्स भिवंडी

रवि तिवारी

भिवंडी – भिवंडी निजामपुर शहर महानगर पालिका में तानाशाही रवैया अपनाने वाले पूर्व आयुक्त व प्रशासक अजय विलास वैद्य की बदली से ठीक १० दिन पहले एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। पालिका मुख्यालय परिसर और विभिन्न विभागों में लगे ८५ सीसीटीवी (CCTV) कैमरे अचानक हटा दिए गए। सवाल यह उठता है कि आखिर इतने महत्वपूर्ण सुरक्षा उपकरणों को हटाने की जरूरत क्यों पड़ी ? क्या यह किसी बड़े भ्रष्टाचार, पालिका संपत्ति की अवैध बिक्री, या फिर किसी गहरे षड्यंत्र का हिस्सा था ? यह जांच का विषय बना हुआ है।
सूत्रों की मानें तो भिवंडी महानगरपालिका मुख्यालय की सुरक्षा के लिए महाराष्ट्र राज्य सुरक्षा बल के 34 सुरक्षा रक्षकों की तैनाती की गई है और सुरक्षा के उद्देश्य से पूरे मुख्यालय में 85 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। लेकिन जैसे ही अजय वैद्य की बदली की चर्चा तेज हुई, जनवरी के आखिरी सप्ताह से 12 फरवरी की रात के बीच इन कैमरों को निकाल लिया गया। क्या इस दौरान कोई बड़ा खेल खेला गया ? क्या किसी बड़े घोटाले के सबूत मिटाने के लिए ऐसा किया गया ? प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जनवरी के आखिरी सप्ताह से लेकर १२ फरवरी की रात तक, कई संदिग्ध वाहन पालिका मुख्यालय में दाखिल हुए और उनमें पालिका की अलमारियां, पुराने फर्नीचर और अन्य सामान लोड करके ले जाया गया। अब सवाल यह उठता है कि क्या यह फर्नीचर खाली था या इनमें पालिका से जुड़ी गोपनीय फाइलें और दस्तावेज भरे थे ? अगर ऐसा था, तो क्या यह एक सुनियोजित साजिश थी ? सीसीटीवी (CCTV) लगाने वाले एक मजदूर ने बताया कि कुल ८५ कैमरे निकाले गये और उनमें से एक भी खराब नहीं थे। अब हमें फिर से वही कैमरे लगाने का आदेश दिया गया है।”सवाल उठता है कि जब कैमरे खराब नहीं थे, तो फिर उन्हें हटाने की जरूरत क्यों पड़ी ?
भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता परमेश्वर अंभोरे का कहना है कि सीसीटीवी (“CCTV) कैमरे हटाकर तानाशाह आयुक्त अजय विलास वैद्य ने एक बड़ा घोटाला किया है। इसमें पालिका के सुरक्षा अधिकारी और विद्युत विभाग के कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं। इस प्रकरण की गहन जांच होनी चाहिए ताकि पता चले कि आखिरकार जनवरी के आखिरी सप्ताह से लेकर १२ फरवरी तक पालिका मुख्यालय में क्या-क्या हुआ।” अब जब उन्हीं कैमरों को फिर से लगाने का काम शुरू हो चुका है, तो बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या इन कैमरों को हटाने का कारण सिर्फ मरम्मत था, या फिर इससे जुड़े कुछ ऐसे राज थे जो कभी उजागर नहीं होने चाहिए ? क्या अजय वैद्य के शासनकाल में हुआ भ्रष्टाचार अब भी पालिका की दीवारों में दफ्न है ? अब देखना होगा कि प्रशासन इस गहरे षड्यंत्र की परतें खोलता है या फिर इस मामले को भी दबाने की कोशिश होती है।

Related Articles

Back to top button