जौनपुर:कवि कविता की रचना मात्र स्वान्त: सुखाय नहीं करता- डॉ संतोष कौल काक
रिपोर्ट-शमीम
मुंबई। मारवाड़ी सम्मेलन द्वारा संचालित, एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, मुंबई से संलग्न ‘महर्षि कर्वे सर्वश्रेष्ठ महाविद्यालय: वर्ष 2022-23’ सम्मान से सम्मानित, बी.एम. रुइया गर्ल्स कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा ‘अन्तर्महाविद्यालय स्वरचित काव्य-पाठ प्रतियोगिता’ का आयेजन 10 फरवरी 2024 को किया गया। इस प्रतियोगिता में एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय एवं मुंबई विश्वविद्यालय के लगभग 15 महाविद्यालयों के 25 विद्यार्थी प्रतियोगियों ने सहभाग लिया। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता मारवाड़ी सम्मेलन, मुंबई के अध्यक्ष एडवोकेट श्री सुशील व्यास जी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध कवि और लेखक श्री विजय कुमार गुप्ता जी, सम्माननीय अतिथि के रूप में मारवाड़ी सम्मेलन, मुंबई के मानद महामंत्री श्री सुरेश देवड़ा जी उपस्थित थे। निर्णायक के रूप में संस्कार पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती साधना कांबले जी एवं एल0जे0एन0जे0 महाविद्यालय के हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. कैलाश चौहान जी उपस्थित थे।
मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष एडवोकेट श्री सुशील व्यास जी ने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रतियोगियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि,“हमारे विद्यार्थियों को समय, काल के अनुसार अपनी कविता द्वारा एक ठोस संदेश समाज को देते हुए अपनी रचना करनी चाहिए जिससे कविताओं में समाजबोध बना रहे और उनकी सार्थकता भी बनी रहे।”मुख्य अतिथि श्री विजय कुमार गुप्ता जी ने महाविद्यालय के इस सफल आयोजन की सराहना की। उन्होंने उपस्थित प्रतियोगिओं का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि कविता में निहित संवेदना और भाव और उसकी वैचारिकी महत्वपूर्ण है। कविता खुद का खुद में लौटना है। स्वयं से मिलना है। यह मन की वह अभिव्यक्ति है जो जीवन के हर मुकाम, हर पड़ाव पर, हर सुख- दुख में अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम है। उन्होंने नवोदित कवियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि जिंदगी में संभावनाओं का अंत नहीं होता। अंत में उन्होंने अपनी कविताएँ प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. संतोष कौल काक जी ने कहा कि कवि कविता की रचना मात्र स्वान्त: सुखाय नहीं करता, वह समाज और सृष्टि के जड़-चेतन, कण-कण में व्याप्त छोटी से छोटी इकाई से लेकर बड़ी से बड़ी इकाई के सुख-दुख, घृणा, आवेश, प्रेम सभी प्रकार की भावनाओं को समेट कर अपनी वाणी देता है। प्रतियोगियों को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि आप भी समाज सृष्टि के कण-कण को जानें, समझें तथा उसे अपनी कविता में उतारें क्योंकि कविता जिंदा है तो हृदय का स्पंदन जिंदा रहेगा, हृदय का स्पंदन जिंदा रहेगा तो हम जिंदा रहेंगे। निर्णायक की भूमिका निभाते हुए श्रीमती साधना कांबले जी ने प्रतियोगियों को बताया कि प्रयास करते रहने, सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास बनाये रखने से ही जीवन में सफलता अवश्य मिलती है। एवं श्री कैलाश चौहान जी ने अपने अनुभवों द्वारा प्रतियोगियों को निरंतर अच्छे कवियों, अच्छी रचनाओं को पढ़ने के विषय में मार्गदर्शन किया। अतिथियों एवं निर्णायकों का परिचय सहयोगी प्राध्यापिका श्रीमती श्रुति रानडे (मनोविज्ञान) ने दिया। कार्यक्रम का संचालन प्राध्यापिका श्रीमती सपना भांबरी (वाणिज्य) एवं प्राध्यापिका श्रीमती मंजू यादव (हिंदी) द्वारा किया गया। नियमों की जानकारी प्राध्यापक श्री रामलखन पाल( हिंदी विभाग) ने एवं धन्यवाद सहयोगी प्राध्यापिका डॉ0 सुनीता मिश्रा (हिंदी विभाग) ने दिया। इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार, नरगिस शेख (बी0एम0 रुइया गर्ल्स कॉलेज), द्वितीय पुरस्कार, मकदूम नाहिद शाह (के0ई0एस0श्राफ कॉलेज), तृतीय पुरस्कार: शाह जोहरा बानो (के0ई0एस0श्राफ कॉलेज), प्रथम प्रोत्साहन पुरस्कार: प्रवीण विसराम (विवेकानंद एजुकेशन सोसायटी कॉलेज), द्वितीय प्रोत्साहन पुरस्कार, सायमा चौधरी (के0सी0 कॉलेज) एवं शील्ड प्राप्त करने का गौरव के0ई0एस0श्राफ कॉलेज, कांदिवली को प्राप्त हुआ।