Azamgarh:टपकते आंसू और सिसकती हिचकियों के बीच समाप्त समाप्त हुई जलूसे अमारी

Jaloos-e-Amarri ended amidst dripping tears and sobbing sobs

कर्बला के मैदान में पानी के लिए शहीद हुए मासूम बच्चों को याद करते हुए लोग अपने घरों को हुए रवाना

रिपोर्टर रोशन लाल

आजमगढ़ जिला के बिलरियागंज थाना क्षेत्र के छीहीं गांव में जलुसे अमारी का आयोजन किया गया था।
इस मौके पर जिले के कोने-कोने से लोग तशरीफ़ लाए थे।और तामा अंजुमन भी तशरीफ लाइ हुई थीं। जो जलुसे अमारी में नौहा पेश किया।और जलूसे अमारी में मौलाना जफर ने तकरीर करते हुए कहा कि आखिर इस दुनिया में तमाम पैगंबर आए हैं तमाम लोग शहीद हुए हैं तमाम लोग दुनिया से पर्दा किए हैं लेकिन किसी का चालीसवां नहीं मनाया जाताहै। आखिर हसन हुसैन का ही 40 वां क्यों मनाया जाता है ।
उन्होंने कहा कि यह चालीसवां इसलिए मनाया जाता है कि अल्लाह हमसे इन लोगों का चालीसवां हम लोगों से मनाते हैं, इसलिए हम लोग मानते हैं। खुदा की तरफ से किसी और का चालीसवां मनाने की बात नहीं है। इसलिए उन्होंने कहा कि इस्लाम को जिंदा रखने के लिए कर्बला में हुसैन घराना पानी के लिए तरसता रहा था और यजीद अपनी लश्कर से यानी हाथी घोड़ा,आदि द्वारा इको रौंदवा रहा था थी मासूम बच्चों की तेग तलवार तीर बरछी का शिकार बना रहा था।यह दास्तान सुनते ही लोग हिचकियां ले रहे थे था उनकी भीगी पलकों के जरिए नम आखों से आसूं टपक रहे थे।शाम होते ही जैसे ही जब जलुसे अमारी समाप्त हुई लोग लोग हुसैन घराने की कुर्बानियों को याद करते हुए या हुसैन या हुसैन कहते हुए अपने घरों को वापस होगए।इस मौके पर रजी हैदर,सैयद अलमदार, मो आसिफ , सैयद रजी हैदर,सैयद फजल इमाम,मेहदी हसन आदि लोग मौजूद थे।

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