डस्ट माइट्स के संपर्क में आने से बच्चों में गंभीर एलर्जी और अस्थमा का खतरा

Exposure to dust mites may increase the risk of severe allergies and asthma in children

 

नई दिल्ली: एक विशेषज्ञ ने चेतावनी दी है कि डस्ट माइट्स के संपर्क में आने से बच्चों में गंभीर एलर्जी हो सकती है, जिससे अस्थमा और एलर्जिक राइनाइटिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

डस्ट माइट्स घरेलू धूल कणों में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीव हैं। ये इंसान के बाल की मोटाई से बस थोड़े ही बड़े होते हैं और दुनिया भर में एलर्जी का एक प्रमुख कारण हैं।

सर गंगा राम अस्पताल के सीनियर एलर्जी विशेषज्ञ डॉ. नीरज गुप्ता ने शनिवार को आईएएनएस को बताया कि भारत में अधिक आर्द्रता के कारण सूक्ष्म जीव तेजी से बढ़ सकते हैं।

देश में अस्थमा के लगभग 3.5 करोड़ मरीज हैं। एक अनुमान के अनुसार 2.4 प्रतिशत वयस्क और चार से 20 प्रतिशत बच्चे इससे प्रभावित हैं। देश में वर्तमान में लगभग 22 प्रतिशत किशोर एलर्जिक राइनाइटिस से पीड़ित हैं।

डॉ. गुप्ता ने बताया कि बार-बार और जोर की छींक आना तथा अक्सर नाक बहना या नाक में लगातार रुकावट होना, जिसके कारण सांस लेने में कठिनाई होती है, विशेष रूप से रात में; पुरानी सूखी खांसी, जो सुबह-सुबह और रात में अधिक होती है; सांस फूलने की समस्या, विशेष रूप से शारीरिक गतिविधि के दौरान, तथा सांस लेते समय घरघराहट की आवाज – ये सभी डस्ट माइट्स से होने वाली एलर्जी के मुख्य लक्षण हैं।

विशेषज्ञ ने कहा कि डस्ट माइट्स, विशेष रूप से उनके मल और सड़े हुए शरीर के अंगों से उत्पन्न होने वाली एलर्जी नाक के मार्ग और वायु मार्ग में सूजन पैदा कर सकती है, जिससे ये लक्षण दिखाई देते हैं।

इससे बचने के लिए गद्दे, तकिये और डुवेट के लिए एलर्जी-प्रूफ कवर का उपयोग करें, बिस्तर की चादर को नियमित रूप से गर्म पानी में धोएं, घर में कालीनों का उपयोग कम करें, क्योंकि इनमें डस्ट माइट्स पनप सकते हैं। हाई क्वालिटी वाले पार्टिकुलेट एयर (एचईपीए) फिल्टर का उपयोग करें। घर के अंदर आर्द्रता के स्तर को 50 प्रतिशत से कम रखें, पर्याप्त धूप और क्रॉस वेंटिलेशन रखें।

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