पूर्व सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने कहा कालीन मेले का अवलोकन
सीईपीसी द्वारा उनके समक्ष रखी गई मांगों पर पूर्व सांसद ने कहा कि सरकार से बातचीत करने के बाद मांगों को पूरा कराने की होगी कोशिश
रिपोर्ट अशरफ संजरी
भदोही। पूर्व सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा साधन कालीन है। भदोही का कालीन सिर्फ उद्योग नहीं है बल्कि यह यहां की जीवनधारा है। कालीन कृषि पर ही आधारित है।
उक्त बातें पूर्व सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त बुधवार को इंडिया कार्पेट एक्सपो-2024 का अवलोकन करने के पश्चात मीडिया से बातचीत के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से कृषि उद्योग नहीं है। ठीक उसी प्रकार कालीन भी उद्योग नहीं बल्कि यहां के लोगों के लिए जीवनधारा है। भदोही कपड़ा के क्षेत्र में काम करें। कपड़ा के क्षेत्र में काम करने पर आगे बढ़ने और रोजगार उत्पन्न करने की असीम संभावनाएं हैं। पूर्व सांसद ने कहा कि कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के चेयरमैन कुलदीप राज वाटल द्वारा जो मांगे रखी गई है। उन सभी मांगों को सरकार के समक्ष रखा जाएगा उन मांगों को पूरा कराए जाने के लिए कोशिश की जाएगी। सीईपीसी के चेयरमैन कुलदीप राज वाटल ने कहा कि कालीन उद्योग नहीं बल्कि यह हमारी जीवन पद्धति है। इस उद्योग से लाखों लोग लगे हुए हैं। यह एक ऐसा उद्योग है जो लोगों को घर में बैठे-बैठे रोजगार उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारों के समय कालीन उद्योग को केंद्र व प्रदेश की सरकार द्वारा जो सुविधाएं व ड्रा बैक व प्रोत्साहन दिए जाते थे। उस बंद कर दिया गया है। सरकार से मांग की जा रही है कि उन सभी योजनाओं को एक बार फिर से चालू किया जाए। कालीन उद्योग को कृषि में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि भारत से कालीनों का जो विदेशों में निर्यातक होता है। उसमें से 60 से लेकर 70 फीसदी तक की भागीदारी यूपी की है।
इस मौके पर एकमाध्यक्ष मो.रजा खां, सीईपीसी के पूर्व सीओए सदस्य उमेश गुप्ता मुन्ना, राजेंद्र प्रसाद मिश्र, वर्तमान सीओए सदस्य असलम महबूब, अनिल कुमार सिंह, इम्तियाज अहमद, रवि पाटोदिया, पीयूष बरनवाल, मेहनाज यासीन जान आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहें।