94 प्रतिशत भारतीय चिकित्सक स्पेशलाइज्ड अपस्किलिंग अवसरों की तलाश में : रिपोर्ट
94 percent of Indian physicians seeking specialized upskilling opportunities: Report
नई दिल्ली:। तेजी से हो रही चिकित्सा प्रगति और स्वास्थ्य सेवा चुनौतियों के दौर में एक रिपोर्ट से यह बात सामने आई है कि भारत में 94 फीसदी डॉक्टर स्पेशलाइज्ड अपस्किलिंग ऑपोर्ट्यूनिटीज (अवसरों) की तलाश में हैं।
रिपोर्ट में पारंपरिक सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) से परे विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों की तत्काल आवश्यकता का पता चलता है। जिसमें उन्नत पाठ्यक्रम और अन्य शैक्षणिक अवसर शामिल हैं।
ओसी एकेडमी के सह-संस्थापक और सीईओ बालू रामचंद्रन ने कहा, “हमारा सर्वेक्षण भारत में चिकित्सा शिक्षा में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। 93.58 प्रतिशत डॉक्टरों ने पारंपरिक सीएमई से परे विशेष कौशल विकास की जरूरत पर बल दिया है, जिससे हम चिकित्सा पेशेवरों के सीखने को लेकर बदली सोच से रूबरू हो रहे हैं। यह मांग न केवल एक अंतर को दर्शाती है, बल्कि चिकित्सा शिक्षा में क्रांति लाने का अवसर भी मुहैया करा रही है।”
रिपोर्ट देश में विभिन्न विशेषज्ञों और 400 चिकित्सा पेशेवरों की प्रतिक्रियाओं के आधार पर तैयार की गई है। यह कई प्रमुख रुझानों को उजागर करती है जो पारंपरिक चिकित्सा शिक्षा दृष्टिकोणों से अलग है।
रिपोर्ट से पता चला कि डॉक्टरों का एक बड़ा हिस्सा (61.35 प्रतिशत) ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड को मिला हाइब्रिड मोड से सीखने की इच्छा जताता है। विशेष अपस्किलिंग कार्यक्रमों में नामांकन पर विचार करते समय, लगभग एक चौथाई (23.84 प्रतिशत) चिकित्सकों ने व्यावहारिक अनुभव और अनुकरण को प्राथमिकता दी।
इसमें खुद से कुछ सीखने की ललक भी देखने को मिली, जिसमें आधे से अधिक उत्तरदाताओं (55.09 प्रतिशत) ने सक्रिय रूप से ऑनलाइन संसाधनों की खोज की, जो चिकित्सा पेशेवरों के बीच स्व-निर्देशित सतत शिक्षा (सेल्फ-डायरेक्टेड कंटिन्यूइंग लर्निंग) की ओर बदलाव का संकेत है।
दिलचस्प बात यह है कि कौशल विकास की इच्छा सभी करियर स्टेज में दिखी, जिसमें 38.89 प्रतिशत उत्तरदाताओं के पास 20 साल से अधिक का अनुभव है और 24.77 प्रतिशत के पास 5 साल से कम का अनुभव है, जो चिकित्सा क्षेत्र में निरंतर पेशेवर विकास की सार्वभौमिक आवश्यकता को उजागर करता है।
रिपोर्ट ने कौशल विकास की चुनौतियों की भी पहचान की। समय की कमी (31.02 प्रतिशत) और उपयुक्त पाठ्यक्रमों की कमी (33.56 प्रतिशत) डॉक्टरों के सामने आने वाली परेशानियों के रूप में सामने आई है, जिसमें कौशल विकास कार्यक्रमों की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।