कार्डियक अरेस्ट के बाद महिलाओं में एंग्जाइटी और डिप्रेशन की संभावना अधिक : शोध
Women more likely to have anxiety and depression after cardiac arrest: research
नई दिल्ली, 9 जुलाई: एक शोध में यह बात सामने आई है कि कार्डियक अरेस्ट से बचने वाली महिलाओं में पुरुषों की तुलना में चिंता (एंग्जाइटी) और अवसाद (डिप्रेशन) की संभावना अधिक होती है।
नीदरलैंड के एम्सटर्डम विश्वविद्यालय चिकित्सा केन्द्र के शोध समूह ने देश में अस्पताल के बाहर हृदयाघात (कार्डियक अरेस्ट) से उबर चुके 53 वर्ष की औसत आयु वाले 1,250 व्यक्तियों का पांच साल तक अध्ययन किया।
उन्होंने कार्डियक अरेस्ट के पांच साल के परिणामों को निर्धारित करने के लिए कई कारकों को देखा।
सर्कुलेशन कार्डियोवैस्कुलर क्वालिटी एंड आउटकम्स नामक पत्रिका में प्रकाशित परिणामों से पता चला है कि महिलाओं में पहले वर्ष में अवसादरोधी दवाओं के प्रयोग में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पुरुषों में यह वृद्धि नहीं देखी गई।
एम्स्टर्डम पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ता रॉबिन स्मिट्स ने कहा, “पांच साल बाद यह वृद्धि लगभग 20 प्रतिशत तक कम हो गई।”
अधिक शोध की आवश्यकता पर बल देते हुए स्मिट्स ने कहा, “इस शोध में हम यह कह सकते है कि महिलाओं को विशेष रूप से कार्डियक अरेस्ट के बाद पर्याप्त सहायता नहीं मिलती है।”
चिंता और अवसाद के अलावा, शोध में रोजगार के रुझान भी देखे गए जो 50 की उम्र पार करने के बाद सामान्य आबादी को प्रभावित करते हैं।
स्मिट्स ने कहा कि कमाई की स्थिति में भी बदलाव आया, जिसका मतलब यह है कि परिवार का वह सदस्य जिसकी आय सबसे अधिक थी, हृदयाघात के बाद बदल जाता था, जिससे पता चलता है कि व्यक्तियों के लिए काम पर वापस लौटना मुश्किल हो जाता है।
हृदयाघात के बाद जीवित रहने की दर पर किए गए पिछले शोध से पता चला है कि हृदयाघात के बाद महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहती हैं।
स्मिट्स ने कहा, ”निष्कर्षों में हम पाते हैं कि हृदयाघात के परिणाम लिंग के आधार पर भिन्न होते हैं। जबकि महिलाओं के बचने और लंबे समय तक जीने की संभावना अधिक हो सकती है, लेकिन हृदयाघात के बाद वह मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से अधिक प्रभावित होती हैं।”