वैरायटी गणेश, चतुर्थी व्रत 5 दिसंबर गुरुवार को।
विनय मिश्र ,जिला संवाददाता।
बरहज ,देवरिया। आचार्य अनिल मिश्रा में बताया कि वैनायकी
श्री गणेश चतुर्थी व्रत का मान ५ दिसम्बर २०२४ गुरुवार को होगा ।
श्रीराम एवं माता जानकी के विवाह दिवस का महोत्सव “विवाह पंचमी” ६ दिसम्बर २०२४ शुक्रवार को मनाया जायेगा । भविष्यपुराण में इसका उल्लेख श्रीपंचमी के नाम से है । इसे द्वितिय नागपंचमी भी कहा जाता है। मिथिलांचल में इसे अत्यन्त श्रद्धा के साथ मनाया जाता है । सम्पूर्ण विश्व में राम-जानकी मठों, मन्दिरों एवं श्रीरामभक्तों के घरों में इस महोत्सव को उल्लास पूर्वक मनाया जायेगा । आज के दिन पूर्वाभिमुख बैठकर घी का दीपक जलाकर “ऊं सीतारामाभ्याम नम:” मंत्र का १२१०० जप करके धुप-घी-गुड़ से हवन करना चाहिए। जिससे पारिवारिक सुख, दाम्पत्य सुख एवं राजसुख की प्राप्ति होती है।
स्कन्द षष्ठी जिसे महाराष्ट्र में चम्पा षष्ठी के नाम से जाना जाता है ७ दिसम्बर २०२४ शनिवार को मनाया जायेगा । पश्चिमी प्रदेशों विशेषकर महाराष्ट्र में इसका विशेष महात्म्य है। पौराणिक आख्यान के अनुसार आज के दिन स्वामी कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया था और आज ही उनका राज्याभिषेक भी हुआ था ।
विष्णु सप्तमी एवं मित्र सप्तमी तथा रविवार औदयिक सप्तमी तिथि के योग से भानु सप्तमी का पर्व ८ दिसम्बर २०२४ को मनाया जायेगा । आज के दिन किया गया स्नान-दान सूर्यग्रहण में किये गये स्नान दान के बराबर माना जाता है ।
नन्दा नवमी का मान ९ दिसम्बर २०२४ सोमवार को होगा । आज के दिन देवी पूजन करने से विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।
मोक्षदा एकादशी व्रत का मान सबके लिए ११ दिसम्बर २०२४ बुधवार को होगा । आज ही जैन जगत की मौन एकादशी तथा सुप्रसिद्ध गीता जयन्ती मनायी जायेगी । ३६ भाषाओं में अनुवादित तथा सन्तों महापुरुषों के विशिष्ट टीका व्याख्यान विवेचन से परिष्कृत महिमामण्डित विस्तारित गीता का ज्ञान सम्पूर्ण विश्व में भारतीय मनीषा की गौरवपूर्ण गाथा को मुखरित करेगा । श्रीमद्भगवत गीता मात्र एक धार्मिक ग्रन्थ नहीं है ,अपितु अपार जनकोष है। हम सनातनधर्मियों की आचारसंहिता है तथा जीवन के आधारभूत मूल्यों का मार्गदर्शक है ।