बलिया:जीवन में कष्ट आने पर होता है वैराग्य
रिपोर्ट: विनय मिश्र
बरहज:उक्त बातें नौका टोला में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के आठवें दिन श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए कथा व्यास डाक्टर श्रीप्रकाश मिश्र ने कही । उन्होंने कहा कि जब राजा परीक्षित को श्राप लगा तो वैराग्य उत्पन्न हो गया और वैरागी हो गये । भगवान श्रीकृष्ण को भी वैराग्य हो गया था वैसे ओ तो वैरागी थे ही । भगवान को लग रहा था अब ये सांसारिक प़बृत्तियां बाधा रूप बनती जा रही हैं । भगवान ने सबका उद्धार कर दिया यदुबंशी ही सेफ रह गये । भगवान जो जो मना किये थे ओ सब करनें लगे । भगवान ने सोचा अगर ये रह गये तो और किसी को चैन से रहने नहीं देंगे। भगवान की प्रेरणा एक बार पिंडारक तिर्थ में विश्राम कर रहे साधुओं से मजाक करनें की सोची । उन्होंने साम्ब को नारी का वेष बनाकर दुर्वासा इत्यादि ऋषियों के पास ले जाकर पूछे इस स्त्री को पुत्र होगा या पुत्री ।ऋषी जान गये कि सच्ची बात क्या है । भगवान की प़ेरणां से उन्होंने कहा इस स्त्री बनें साम्ब के गर्भ से न पुत्र होगा न पुत्री इसके उदर से एक लोहे का मूसल होगा जो समस्त यदुबंश का विनाश कर देगा । अब यादव कुमार भयभीत हो गए और जब पेट से मुसल निकला तो यह बात उग़सेन को बताया उग़सेन ने उसका चूरा कराकर समुद्र में डलवा दिया और जो छोटा टुकड़ा था उसको भी समुद्र में ही फेंक दिया । समुद्र अपनें अंदर कुछ रखता नहीं है लोहे का चूरा देकर किनारे आकर ऐरक नाम की घांस जम गयी और लोहे के टुकड़े को एक मछली निगल गई मछली को एक बहेलिया ने पकड़ लिया पेट फाडा तो उसके अंदर से लोहे का टुकड़ा मिला बहेलिया ने अपनें बांण पर फल बना लिया और अंत में पूरी द्वारका नगरी जल में प्रविष्ट हो गई सभी द्वारका वासी प्रभासक्षेत्र में आ गये और यहांभगवान के मना करने पर भी मैरेय नामकी मदिरा का पान कर लिए और आपस में युद्ध करते हुये सारे अस्त्र-शस्त्र टूट गये।
उसके बाद ऐरक नाम की घांस से किसको लगे प़ाण त्याग दें इस तरह सभी मर गये और भगवान एक पीपल के वृक्ष के नीचे बैठ गये । भगवान उद्धव जी को भागवत धर्म का उपदेश दिए उसके बाद भगवान चतुर्भुज रूप में होकर अपनें पैर को दुसरे पैर पर चढ़ा लिए एक बहेलिया चरणों को मृगा समझकर बांण चला दिया दौडता हुआ आया भगवान को देखकर उनके चरणों में गिर पड़ा लेकिन भगवान ने उसको अपनें धाम में भेज दिया और भगवान के शरीर से तेज निकलकर श्रीमद्भागवत जी में समा गया । इस अवसर पर यजमान मुन्नी देवी राजेश मिश्र उमाशंकर मिश्र संतोष मिश्र रविन्द्र तिवारी अखिलेश प्रेमशंकर मणि रविन्द्र तिवारी सहित श्रद्धालु श्रोताओं ने किया कथा का रसपान ।