म प्र उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस माननीय सुरेश कुमार जी कैत हजारों बच्चों के लिए देवदूत बनकर आए। होली के बाद ही दे दिया दीवाली का उपहार
बुरहानपुर:
चीफ जस्टिस माननीय सुरेश कैत जी एवं विवेक जैन जी की पीठ द्वारा स्कूलों के रजिस्टर्ड किरायानामा की शर्त पर रोक लगाते हुए शासन को अपना जवाब प्रस्तुत करने हेतु 6 हफ्तों का समय दिया गया है।शासन द्वारा बनाए गए नए – नए निराधार नियमों के कारण हजारो बच्चों का भविष्य अधर में में लटक गया था ।
हजारों लोगों पर बेरोजगारी का खतरा मंडराने लगा था ।
हजारों स्कूलों के बंद होने की नौबत आ गई थी, मान्यता नवीनीकरण हेतु लगभग 4842 स्कूल आवेदन ही नहीं कर पाए थे।ऐसे में माननीय चीफ़ जस्टिस का ये फैसला सभी के लिए राहत देने वाला है ।
भारत सरकार 2009 के निः शुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत 2011 में मप्र में यह अधिनियम लागू किया गया तब रजिस्टर्ड किराया नामा व सुरक्षा निधि ओर प्रत्येक वर्ष का मान्यता शुल्क ऐसे कोई भी नियम निर्धारित नहीं किए गए थे। 20 से 25 वर्षों से संचालित स्कूल रजिस्टर्ड किराया नामा के कारण स्थाई रूप से बंद होने की कगार पर आ गए थे,30 से 40 प्रतिशत स्कूल संचालकों ने नोटरी कृत किरायानामा लगाकर आवेदन किया जिनकी मान्यता निरस्त हो रही हैं। नए नियमों से लगभग 7 से 8 हजार स्कूलों के बंद होने की संभावना है जिसमें कार्यरत शिक्षक शिक्षिका व कर्मचारी बेरोजगार हो सकते हैं,निः शुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम में पढ़ने वाले बच्चे शिक्षा से वंचित हो सकते हैं ।इन सभी समस्याओं को मप्र प्राईवेट स्कूल वेलफेयर संचालक मंच के प्रदेश अध्यक्ष शैलेष तिवारी , प्रदेश उपाध्यक्ष आनंद भागवत जी, प्रदेश सचिव अरविंद मिश्रा सहसचिव अनुराग भार्गव और कौषध्यक्ष मोनू तोमर जी सलाहकार विकास अवस्थी जी जबलपुर के सहयोग से अधिवक्ता सुश्री स्मिता वर्मा अरोरा ने प्राईवेट स्कूलों की समस्याओं को माननीय जबलपुर उच्च न्यायालय के सामने प्रस्तुत किया जिससे सहमत होते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने 7 मई 2025 तक 6 जनवरी 2023 के राजपत्र अधिसूचना को स्थगित रखा है। सभी प्राईवेट स्कूलों को उम्मीद हैं आशा है कि प्राईवेट स्कूलों को 7 मई को बड़ी राहत मिलेगी। प्राईवेट स्कूलों ने जबलपुर उच्च न्यायालय का आभार व्यक्त किया है।