10 दिनों में म्यांमार के 1,430 नागरिकों ने मिजोरम में ली शरण
1,430 Myanmar nationals take refuge in Mizoram in 10 days
आइजोल, 25 मई : म्यांमार में सेना और लोकतंत्र समर्थकों के बीच जारी ताजा झड़पों के बीच 10 दिनों में म्यांमार के 1,430 नागरिकों ने मिजोरम में शरण ली है। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि महिलाओं और बच्चों सहित म्यांमार के कम से कम 40 नागरिकों ने शुक्रवार और शनिवार को भारत-म्यांमार की जंगली सीमा पार कर मिजोरम के सैतुअल और चम्फाई जिलों में शरण ली।
सूत्रों ने बताया कि दोनों जिलों के ग्रामीण शरणार्थियों को भोजन और आवास मुहैया करा रहे हैं।
मिजोरम सरकार के एक अधिकारी के अनुसार, शरणार्थियों में ज्यादातर म्यांमार के चिन राज्य के निवासी हैं। ये लोग ‘तातमाडा’ (म्यांमार सेना) और चिन नेशनल आर्मी के नेतृत्व वाले लोकतंत्र समर्थक बलों के बीच सशस्त्र झड़पों से डर कर मिजोरम भाग आए।
ग्रामीणों ने दावा किया कि प्रवासियों को उनके देश की वायु सेना के हवाई हमलों का भी डर है।
इस बीच, विपक्षी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के नेता टी.सी. पचुंगा ने कहा कि लगातार मांग के बावजूद, केंद्र ने अभी तक म्यांमार, बांग्लादेश के शरणार्थियों और मणिपुर के आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को राहत देने के लिए मिजोरम सरकार को कोई सहायता प्रदान नहीं की है।
यहां एमएनएफ कार्यालय में पार्टी की एक बैठक को संबोधित करते हुए पचुंगा ने कहा कि केंद्र सरकार को मानवीय पहलुओं पर विचार करते हुए राज्य को वित्तीय और अन्य सहायता प्रदान करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पिछली एमएनएफ सरकार ने कई मौकों पर केंद्र सरकार से म्यांमार, बांग्लादेश और मणिपुर के प्रवासियों की देखभाल के लिए धन उपलब्ध कराने का आग्रह किया था।
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, फरवरी 2021 से मिजोरम आने वाले शरणार्थियों की कुल संख्या लगभग 36 हजार हो गई है।
अधिकांश शरणार्थी किराए के आवास और अपने रिश्तेदारों या दोस्तों के घरों में रहते हैं, जबकि अन्य राज्य के सात जिलों में 149 राहत शिविरों में हैं।
मिजोरम में शरण लेने वाले म्यांमार के लोग ज्यादातर चिन समुदाय से हैं, जिनका मिजोरमवासियों के साथ जातीय, सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंध है।
मिजोरम के छह जिलों – चम्फाई, सियाहा, लॉन्गत्लाई, हनाथियाल, सेरछिप और सैतुअल की म्यांमार के चिन राज्य के साथ 510 किलोमीटर लंबी बिना बाड़ वाली सीमा है।