आजमगढ़:स्वास्थ्य महकमें का हाल, बीमार बना दिया परशुरामपुर अस्पताल
Parashurampur Hospital, sickened by the health department
रिपोर्ट : कमलाकांत शुक्ल
महराजगंज/आजमगढ़:स्थानीय विकासखंड के लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने करोड़ों की लागत से 20 सितंबर 2014 को तत्कालीन राज्यसभा सांसद स्वर्गीय अमर सिंह की अध्यक्षता में तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परशुरामपुर को उच्चीकृत करते हुए विकास खंड के पहले 25 बेड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लोकार्पित किया गया तो देवारांचल की जनता में खुशी थी कि अब उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं के लिए दूर नहीं भटकना होगा । लेकिन कौन जानता था कि विभाग के जिम्मेदारों की कास्तानी के से यह अस्पताल लोगों को उपचार मुहैया कराने के बजाय चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मचारीयों के लिए आरामगाह बन कर रह जाएगा ।लोगों की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए शनिवार की दोपहर लगभग 2:00 बजे पत्रकारों की एक टीम उक्त स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंची तो अस्पताल गेट पर तीन लोग टहलते हुए मिले, जिसमें एक ने अपने को लैब टेक्नीशियन तथा दो लोगों ने फार्मासिस्ट बताते हुए कहा कि कोई डाक्टर नहीं है । सभी लोग छुट्टी पर हैं । बाकी स्टाफ के बारे में जानकारी देना तो दूर अपना नाम भी नहीं बताया ।अस्पताल में फर्श पर काफी धूल जमा थी ऐसा लगता था कि महीनो पूर्व यहां पर झाड़ू लगा होगा । अधीक्षक का कक्ष खुला था लेकिन उनकी टेबल और कुर्सियों पर डस्ट जमा थी । बाकी कमरों में तारे लगे पड़े थे मौके पर मौजूद कर्मचारियों से जब इमरजेंसी कक्ष और वार्ड को खोलने के लिए कहा गया तो वे मीडिया से जुड़े होने की बात पर भड़क उठे और कहां की कमरे की चाबी खो गई है । लैब टेक्नीशियन से लैब खोलने के लिए कहा गया तो उसने बताया कि कोई अन्य कर्मचारी कमरा बंद कर चाबी लेकर चला गया है । अस्पताल में कर्मचारियों की अनुपस्थिति व दुर्व्यवस्था की शिकायत मुख्य चिकित्सा अधिकारी से की गयी तो उन्होंने मौजूद कर्मचारियों से बात कराने के लिए कहा जिस पर अपने को फार्मासिस्ट बताने वाला विकलांग कर्मचारी भड़क गया और बात करने से इनकार करते हुए उसने मीडिया कर्मियों को देख लेने की धमकी तक दे डाली । घटना से अपर निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंडल आजमगढ़ को अवगत कराने पर उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निकटवर्ती सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र महराजगंज के अधीक्षक योगेश कुमार को मौके पर भेज कर निरीक्षण करने हेतु निर्देशित किया । लगभग 4:00 बजे पहुंचे अधीक्षक योगेश कुमार को भी कर्मचारियों ने बैठने तक के लिए नहीं कहा और उनके द्वारा इमरजेंसी कक्ष एवं वार्ड खोलने के लिए कहने के बाद भी कर्मचारियों द्वारा ताला नहीं खोला गया । काफी जद्दोजहद के बाद उपस्थिति पंजिका दिखाया जिसमें ढेर सारे अवकाश के आवेदन पत्र पड़े थे जिसमें एक आवेदन पत्र ऐसा भी था जो तीन दिन बाद दो दिनों के अवकाश के लिए रखा गया था जबकि शासन द्वारा ऑफलाइन अवकाश पर प्रतिबंध लगाते हुए ऑनलाइन आवेदन के लिए गाइडलाइन जारी की गई है । इसके बारे में निरीक्षण अधिकारी से पूछने पर उन्होंने अधीक्षक के टेबल पर जमा धूल को उंगलियों से दिखाते हुए खामियों को स्वीकार किया किंतु अस्पताल के अधीक्षक को अपना सीनियर बताते हुए कुछ भी कहने से इनकार कर दिया । मौजूद कर्मचारियों को यह निर्देशित कर पल्ला झाड़ लिया कि सोमवार को हम फिर आएंगे तब तक सारी व्यवस्था सही कर लेना । इस दौरान पूरा परिसर बकरियों का चारागाह बना था । कुछ लोगों ने नाम न बताते हुए कहा कि यहां पर तैनात अधीक्षक एक अच्छे चिकित्सक है किंतु यहां पर कभी नहीं आते बल्कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिलरियागंज में रहकर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं । अस्पताल में बने आवासों में कर्मचारीयों द्वारा पैसा लेकर अनैतिक कार्य कराये जाते हैं जिसके चलते अब यहां कोई मरीज भी नहीं आना चाहता है । अब देखना होगा कि विभागीय आला अधिकारी उक्त अस्पताल की दुर्व्यवस्था को संज्ञान में लेते हुए क्या कदम उठाते हैं ।