मऊ:शिया समुदाय ने किया सफीरे हुसैन का मातम, अंजुमनो ने पढ़े नौहाख्वानी
Shia community mourned Safire Hussain, associations recited Nauhakhani
रिपोर्ट :अशोकश्रीवास्तव ब्यूरोप्रमुख
घोसी/मऊ। घोसी नगर स्थित बड़ागांव नीमतले काज़िम हुसैन के आवास से गुरुवार रात्रि ৪ बजे शबीहे ताबूत वो आलम का जलूस निकाला गया। जिसमे अंजुमन सज्जादिया
ने नौहाख्वानी की, सितम कुफ़े की गलियों में हआ कैसा मुसाफिर पर जलूस अपने कदीमी रास्तों से होता हआ सदर इमाम बारगाह पे देर रात दफन हआ।
ये जलूस सफीरे इमाम हसैन की शहादत की याद में निकाला जाता है। कूफ़े की जनता ने ज़ालिम बादशाह से निजात पाने के लिए इमाम हुसैन अ. स. को कूफ़े बुला लिए अंगिनत पत्र लिखे। कृफ़ियों की वफ़ादारी की पुष्टि करने के लिए इमाम हसैन ने मुस्लिम बिन अकील जो की एक प्रसिद्ध योद्धा थे स्थिति का निरीक्षण करने के लिए
कुफ़ा भेज दिया। जब मुस्लिम बिन अकील कुफ़ा पहचे तो 30000 कृफ़ियों ने उन के हाथों पे बैय्यत की और अपनी वफादरी का सबूत दिया। मस्जिदे कुफ़ा में मुस्लिम बिन
अकील मगरिब की नमाज़ पढ़ाने के लिए खड़े हुए उनके पीछे 30000. लोग खड़े हए मग्रिब वो ईशा की नमाज़ खत्म होने पर उनके पीछे सिर्फ एक व्यक्ति रह गया था जिस के
मुस्लिम मेहमान थे।
कछ समय बाद अकेले मुस्लिम को 500. से अधिक सैनिको ने घेर लिया। कूफा में मुस्लिम ने ऐसी जंग की के सेना पराजित हुई तब सेना ने गड्ढा खोदा और धोखे से
मुस्लिम को गड्ढे में गिरा कर गिरफ्तार कर के दारुल अमारा की छत पर लेगये और उसी छत से ज़मीन पे फेक दिया गया। जहाँ मुस्लिम शहीद होगये। 9. ज़िल्हिज्जा सन 60. हिजरी जब मुसलमान ईदुल
अज़हा का उत्सव मानाने के लिए तैयार हो रहे थे। उसी दिन कर्बला की लड़ाई के पहले शहीद मुस्लिम बिन अकील की सहादत हई। उन्हें कूफा में दफन किया गया।जहाँ
हज़ारों लोग उनकी कुब्र की ज़्यारत के लिए कूफ़ा जाते हैं।