अपने करीबी जितेंद्र नाथ पाण्डेय का हाल पूछने आये एलजी मनोज सिन्हा

रिपोर्ट सुरेश पांडे

गाजीपुर। अपने करीबी जितेंद्र नाथ पाण्डेय का हाल पूछने जम्मू कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने सदात स्थित देवापार उनके आवास पर पहुंचे।

आपको बताते चलें कि जितेंद्र पाण्डेय करीब ग्यारह महीनो से बीमार चल रहे हैं। यह बात मनोज सिन्हा को जानकारी होते ही वह पहुंचे और हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

उन्होंने कहा कि सदियों से हम सुनते चले आए हैं कि भारत सोने की चिड़िया हुआ करता था। सोने की चिड़िया से तात्पर्य यह नहीं भारत में सोने की खदान थे। बल्कि यहां के उच्च कोटि के शिक्षण संस्थान, ज्ञान, संस्कृति, संस्कार व शिक्षा ही हमारे मूलभूत आधार थे। हमारे यहां की संस्कृति विश्व में सबसे अगली कतार में खड़ी रही। हम नेतृत्वकर्ता के रूप में रहे, जिसके चलते भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। बीच में अलग-अलग विचारधाराओं की लड़ाई व आक्रांताओं के चलते हमने अपना गौरव खो दिया था। आज पुनः वह गौरव अपनी पुरानी स्थिति की ओर बढ़ता नजर आ रहा है।

श्री सिन्हा ने कहा कि दुनिया की अर्थव्यवस्था में 11वीं शताब्दी में जहां भारत का हिस्सेदारी एक तिहाई था वही 15वीं शताब्दी में एक चौथाई हो गया। जबकि उसके बाद धीरे-धीरे गिरता गया। आक्रमणकारियों का राज बड़ा जिन्होंने सबसे पहले हमारे धन, यश वैभव, शैक्षिक प्रतिष्ठान व आस्था के क्षेत्र के ऊपर प्रहार किया आज हम पुनः अपनी पुरानी संस्कृति और विरासत की ओर बढ़ चले हैं। हमें किसी से छीनना नहीं बल्कि हमें अपने बाप दादा का हिस्सा चाहिए। उन्होंने कहा कि आज भारत स्टार्टअप के क्षेत्र में तीसरे स्थान पर है। दुनिया के किसी भी क्षेत्र में युद्ध में लोग आशा भरी निगाहों से हमें देखते हैं, समाधान हमसे चाहिए। इराक या सूडान में जब भारतीय संकट में थे। भारतीय विमान उतरते ही दोनों देश की सेवा युद्ध विराम कर देती थी। दुनिया के किसी भी भूभाग में दैवी आपदा में आज भारत ही मानवता की सेवा के लिए सबसे आगे नजर आता है। शताब्दी का सबसे बड़ा संकट कोरोना में भारत ने वैक्सीन निकली जो केवल 140 करोड़ भारतीय ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम लोगों की जान बचाई। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है अनेक लोगों ने बलिदान देकर देश के अस्मिता की रक्षा की है। आज पुनः विकसित भारत के लिए पूर्वांचल का योगदान सबसे आगे होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह दौर बीत गया जब मकान, शौचालय, बिजली, पानी, स्वास्थ्य जैसी न्यूनतम नागरिक सुविधाओं के लिए भी हमें तरसना पड़ता था। आज हम उस स्थिति में पहुंच चुके हैं जहां हमारा सम्मान पूरे विश्व में बड़ा है। जम्मू कश्मीर पर विशेष चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 4 वर्ष पूर्व मुझे जम्मू कश्मीर की जिम्मेदारी मिली पहले मुझे यह कार्य बहुत चुनौती पूर्ण लगा। मैंने सोचा भी नहीं था कि मुझे यहां जाना पड़ सकता है। लेकिन बाद में जब मैं वहां को जाना व समझा आज समझ में आता है कि वहां का कार्य मऊ और गाजीपुर में कार्य करने से भी ज्यादा आसान है। जिस जम्मू कश्मीर पहले कुछ और कर्म से सुर्खियों में होता था। पड़ोसी के इशारों पर आगजनी, गोलाबारी, सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी, स्कूल बाजार हड़ताल इत्यादि हुआ करते थे। पड़ोसी देश के इशारे पर कैलेंडर जारी हुआ करते थे। आज वह जम्मू कश्मीर पूरे दुनिया में सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में जाना पहचाना जाने लगा है। जी-20 की बैठक हुई लोग उत्सुकता से देख रहे थे कि जम्मू कश्मीर में जी-20 की बैठक सफल नहीं हो पाएगी। लेकिन पूरी दुनिया तमसबीन बनकर देखते रह गई। इस मौके पर उत्कर्ष पाण्डेय, ओमप्रकाश पाण्डेय, रविन्द्र तिवारी,मोहन राजभर, डॉ मुन्ना राजभर, शशि सिंह, सुभाष पाण्डेय, विनोद यादव, दया यादव, शशिकांत पाण्डेय, राजदेव सिंह, मोहन राजभर, छांगुर राजभर, महेश प्रजापति, अलियार पाण्डेय आदि मौजूद रहे।

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