ईरान ने इजरायल पर दागीं मिसाइलें, तेल अवीव समेत कई शहरों में धमाके; संयुक्त राष्ट्र में आपात बैठक की मांग

तेल अवीव/तेहरान, 22 जून:

अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर की गई बमबारी के जवाब में ईरान ने शनिवार सुबह इजरायल पर बड़ा हमला कर दिया। ईरानी मिसाइलों ने उत्तरी और मध्य इजरायल के कई शहरों को निशाना बनाया, जिनमें तेल अवीव, हाइफा, नेस जियोना और रिशोन लेजियन शामिल हैं।

हमले के तुरंत बाद तेल अवीव समेत कई इलाकों में एयर सायरन बज उठे, जिससे लोगों में दहशत फैल गई। इजरायली रक्षा बल (IDF) ने पुष्टि की है कि ईरान की ओर से दागी गई कई मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर लिया गया है, लेकिन कुछ मिसाइलें लक्ष्य तक पहुंचने में सफल रहीं।

IDF के बयान में कहा गया है, “थोड़ी देर पहले, ईरान से इजरायल की ओर दागी गईं मिसाइलों की पहचान की गई। कई इलाकों में खतरे के सायरन बजाए गए। हमारी सेना खतरों को समाप्त करने के लिए हर आवश्यक कदम उठा रही है। जनता से अनुरोध है कि वे होम फ्रंट कमांड के निर्देशों का पालन करें।”

घायलों की संख्या बढ़ी, एक की हालत गंभीर

इजरायली आपातकालीन सेवा मैगन डेविड एडोम ने जानकारी दी है कि हमले में कम से कम 11 लोग घायल हुए, जिनमें से एक की हालत गंभीर है। KAN 11 न्यूज चैनल ने मलबे में तब्दील एक इमारत की तस्वीरें प्रसारित की हैं, जो मध्य इजरायल में मिसाइल हमले का निशाना बनी।

ईरानी मीडिया ने दिखाई मिसाइल हमलों की लाइव तस्वीरें

ईरानी न्यूज चैनलों पर मिसाइल दागे जाने की लाइव तस्वीरें प्रसारित की गईं। एक न्यूज एंकर ने दावा किया कि “ईरान ने इजरायल पर कम से कम 30 मिसाइलें दागी हैं, और यह हमला अभी जारी है।”

ईरान की UN से आपात बैठक की मांग

हमले के बाद ईरान ने अमेरिका के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपातकालीन बैठक बुलाने का आग्रह किया है। UN में ईरान के राजदूत आमिर सईद इरावानी ने कहा है कि अमेरिका द्वारा ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु स्थलों पर हमला अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।
पत्र में उन्होंने कहा, “इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान इन पूर्व नियोजित और आक्रामक कृत्यों की कड़ी निंदा करता है। संयुक्त राष्ट्र को अमेरिका को जवाबदेह ठहराने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए।”

क्षेत्र में तनाव चरम पर

ईरान और इजरायल के बीच यह टकराव ऐसे समय हुआ है जब पहले से ही पश्चिम एशिया में अस्थिरता बनी हुई है। विश्लेषकों का मानना है कि यदि स्थिति पर जल्द नियंत्रण नहीं पाया गया, तो यह संघर्ष क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकता है।

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