सरजू विद्यापीठ बरहज में काव्य धारा संगोष्ठी मनाई गई। 

 

विनय मिश्र, जिला संवाददाता।

बरहज देवरिया।

 

दिनांक 22 जून को शाम 5:00 बजे बरहज स्थित सरजू विद्यापीठ में काव्य धारा संगोष्ठी मनाई गई । जिसमें मुख्य अतिथि रहे कवि रामेश्वर प्रसाद यादव और कार्यक्रम अध्यक्ष रहे कवि रमेश तिवारी अनजान। सर्वप्रथम मुख्य अतिथि द्वारा सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्वलित किया गया । कार्यक्रम में सरस्वती वंदना “जननी प्रेम सुधा बरसा दे” प्रस्तुत किया श्री रामेश्वर प्रसाद यादव जी ने । काव्य पाठ करते हुए कवि प्रेम शंकर तिवारी ने सुनाया, “मेरी मोहब्बत को अपने दिल में ढूंढ लेना”। कवि विजय तिवारी विशु जी ने सुनाया “चुनाव में किए वादे निभाना भूल जाते हैं”। डॉ संकर्षण मिश्र जी ने सुनाया “गोरी कलइयां सिसक उठे कंगना में”। अंजनी कुमार उपाध्याय ने सुनाया, “यह कैसे मेरे अपने हैं, अपना अस्तित्व मिटाते हैं”।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री रामेश्वर प्रसाद यादव जी ने हिंदी साहित्य पर चिंतन करते हुए कहा, “आज जैसे-जैसे लोग हिंदी साहित्य से दूर होते जा रहे हैं उनमें भावना की कमी होती जा रही है। मनुष्य को इंसानियत से जुड़ना है तो साहित्य से उसे जुड़ना होगा।” इस संदर्भ में उन्होंने अपनी एक भोजपुरी कविता सुनाई, “हमरी साथे बड़ा कईल मनमानी पिया, छोड़ द नादानी पिया ना”। कार्यक्रम के अध्यक्ष कवि रमेश तिवारी अंजान जी ने सुनाया “कल कल, छल छल, करता नद जल, मत रुक अविरल बढ़ चल बढ़ चल।” कार्यक्रम का संचालन अंजनी कुमार उपाध्याय ने किया।

कार्यक्रम में डॉ रजनीश दीक्षित, फैजान अंसारी, जीशान, विनोद तिवारी, राकेश श्रीवास्तव, सुनील सिंह, कृष्ण बिहारी, जीतेन्द्र कन्नौजिया, कुंज बिहारी इत्यादि लोग उपस्थित रहे।

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