गम व मातम के बीच निकला 10 वीं मोहर्रम का जुलूस सभी की आँखे रही नम

चारो तरफ आती रही या हुसैन या हुसैन की सदा

 

रिपोर्ट: अशोकश्रीवास्तव ब्यूरोप्रमुख।

घोसी।

घोसी नगर के बड़ागाँव की प्रसिद्ध 10 वीं मोहर्रम का जुलूस गम के बीच पूरे रीति रिवाज के साथ रविवार की शाम को राष्ट्रीय राज मार्ग स्थित शिया इमाम बारगाह एन एच 29 पर आकर समाप्त हुआ।यहाँ पर अंजुमनों द्वारा नौहख़ानी व छुरी, जंज़ीर का मातम पेश किया गया। मोहर्रम की 10 वी को ताज़िया का जुलूस कर्बला के शहीदों की याद में पेश किया गया। नौहाख़्वानी पर मौजूद हर शख्स की आँखों से आँसू व नम रही आँखों से से इमाम हुसैन व उनके 72 साथियों को किया गया याद।कर्बला पहुँच ने के बाद ताज़िया को दफन करने और शामे ग़रीबा के बाद कार्यक्रम समाप्त हुआ।एसडीएम अशोक कुमार सिंह, तहसीलदार डा धर्मेंद्र पांडेय ताजिया मार्ग के साथ अन्य स्थानों पर शांति व्यवस्था के लिए भ्रमण करते रहे।

घोसी नगर में प्रसिद्ध 10 वीं मोहर्रम का जुलूस शनिवार को देर रात्रि को अब्बासी बीबी के फाटक से प्रारम्भ होकर निमतले छोटे फाटक, सोनार टोली मोहल्ले से होते हुए बड़ागाँव बाज़ार स्थिति इमाम चौक पर सुबह भोर में लगभग 4 बजे जाकर समाप्त हुआ।जुलूस के दौरान नौहा ख़्वानी व सीना ज़नी अंजुमनों द्वारा हिस्सा लिया।जिसमे अंजुमन मसुमिया क़दीम, अंजुमन इमामिया, अंजुमन दस्तये मसुमिया, ने नौहा ख़्वानी किया।धीरे धीरे बड़ागाँव बाज़ार स्थिति जानकी मंदिर के सामने चौक पहुँच कर समाप्त हुआ।फिर दूसरे दिन रविवार की दोपहर पुनः लगभग 12 बजे ताज़िया का जुलूस अक़ीदत के साथ प्रारम्भ हुआ और गम व मातम के बीच परम्परागम रास्ते से होते हुए शाम को निमतले, मधुबनमोड़, पकड़ी मोड़ होते हुये सदर इमाम बारगाह पहुंच कर और शामेगरीबा के बाद समाप्त हुआ।जुलूस मार्ग पर एसडीएम अशोक कुमारसिंह, तहसीलदार डा धर्मेंद्रपांडेय सुबह से बराबर भ्रमण करते रहे।

घोसी नगर का मसहूर दसवीं का मोहर्रम का जुलुस दो दर्जन से अधिक छोटे, बड़े तजियो के साथ गमगीन माहौल के बीच शिया समुदाय के लोग नंगे पाव चल रहे थे।इस के अलावा अंजुमन सज्जादिया ने नोहा पढ़ा

फ़ातेमा के चैन इब्ने मुर्तुजा अये गरीबे कर्बला अल्वेदा,

दस्त में तुझको कफ़न भी ना मिला,

धूप में जलता रहा लाश तेरा

हुसैन मौला हुसैन मौला,

हर एक ज़बा पे यही सदा है

हुसैन मौला हुसैन मौला,

नौहा खानी और मातम,सिनाजनी व ताबुत व अलम का जुलूस अज़ाखाने अबुतालिब से निकाल कर कदिमि रास्तो से होते हुए बड़ागाव बाजार स्थित सदर चौक देर रात पहुँचा।यहाँ परंपरा के अनुसार ताजीयो को चौक पर रखा गया। रविवार की सुबह अकिदतमंद पुनः तजियो को नौहा खानी,मातम, के बीच परंपरागत रास्तो से होते हुए छोटा फाटक,निमतले,बड़े फाटक, मधुबन मोड़,पकड़ीमोड़ होते हुए जुलूस ताज़ीयो के आगे आगे चलता रहा।ये जुलूस इमाम हुसैन व यज़ीद के सच और झूठ का जुलूस है।यज़ीद द्वारा 14,46 साल पहले अल्लाह के दिन व सरियत को बदलना चाहा लेकिन पैग़म्बर मुहम्मद ने उसके मंसूबों को कामियाब नही होने दिया।और अपने नाती इमाम हुसैन से कहा बेटा यज़ीद अल्लाह के दिन में तब्दीली कर रहा है।उसके लिए तुम को अपने पूरे परिवार सहित अपने लोगो को कुर्बान करना पढ़ेगा।तब इमाम हुसैन ने अपने नाना रसूले खुदा से वादा किया था।नाना आप घबराये नही मै अपने पूरे परिवार को अल्लाह के दिन के लिए कुर्बान कर दूँगा लेकिन अल्लाह के दिन पर आँच नही आने दूँगा। पूरी इंसानियत को बचाउगा।और यज़ीद के जुल्मो सितम से आजिज आकर इमाम हुसैन ने 28 सन 60 हिज़री रजब को अपना घर मदीना छोड़ा और मक़्के कि तरफ चले और वहाँ पर हज करना चाहे लेकिन वहाँ भी यज़ीद के साथी हज के दौरान इमाम हुसैन को शहीद करना चाहा। लेकिन इमाम हुसैन ने देखा कि कुछ लोग एहराम बाँधे छुरी लिये हुए है।तब इमाम हुसैन ने आपने साथियो से कहा कि अल्लाह के घर मे खून खराबा नही होना चाहिए।और वही से इमाम हुसैन कर्बला के लिए निकल पढ़े और दो मोहर्रम को कर्बला पहुंचे सात मोहर्रम से इमाम हुसैन के साथियों व उनके परिवार पर पानी बंद कर दिया गया।और दसवीं को इमाम हुसैन व उनके असहाब को बहुत ही बेदर्दी से मार डाला गया।शांति व्यवस्था में एसडीएम अशोक कुमार सिंह, तहसीलदार डा धर्मेंद्रपांडेय, कोतवाल मनोजसिंह, एसआई आकाश श्रीवास्तव, अवनीश यादव आदि बराबर भ्रमण करते रहे।

इस अवसर पर सैय्यद इमरान अली, मुअज्जम ज़ाफ़री, सलमान हैदर, सैय्यद असगरइमाम, इश्तेयाकसेठ, मुझाहिर हुसैन,आफताबअहमद शमशादहुसैन, अहमदउर्फ फूलचंद, अलमदारहुसैन, शमिमुलहसन, शमीम हैदर, साजिदज़ाहिदी, इफ्तेखार उर्फ मुन्ना,अज़हरहुसैन, जावेद हुसैनी,मुहम्मदहुसैनी, जौहरअली, बाक़ररज़ा, मुजफरअली,सरकार हुसैन, ताहिरहुसैन, आदि लोग मौजूद रहे।

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