Deoria:बाबा महेंद्र नाथ , मंदिर का इतिहास।

Deoria news :Baba Mahendra Nath Temple History

बरहज तहसील क्षेत्र के अंतर्गत
लगभग 1000 वर्ष पहले महेन में राप्ती और सरयू के तट पर मुख्यालय से दक्षिण तरफ 25 किलोमीटर दूर महेन स्थित बाबा महेंद्र नाथ का मंदिर स्थित है । बरसों से यह मंदिर जन जन के आस्था का केंद्र रहा है यहां पर पूजा अर्चना करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
मंदिर का इतिहास
महेन, मंदिर पहले जंगलों से फटा हुआ था लगभग 1000 वर्ष पहले पहवारी सत्यनारायण पांडे सरयू नदी में स्नान करके इसी जंगल में पूजा करते थे धीरे-धीरे समय बीतता गया और उनके माता-पिता उनके ऊपर शादी का दबाव बनाने लगे अपने पिता के मान को रखते हुए उन्होंने शादी तो कर ली लेकिन उनकी कोई संतान नहीं हुई बताया जाता है संतान न होने पर लोगों में तरह-तरह की चर्चा होने लगी और पांडे जी रात्रि में अपने घर पर विश्राम नहीं करते थे वह सीधे जंगल में बाबा से बात करने के लिए चले जाते थे भगवान शिव ने पहवारी महाराज से यह बात कहा था कि जिस दिन हम दोनों के अलावा तीसरा व्यक्ति यहां दिखाई देगा उस दिन से हमारी और तुम्हारी बात समाप्त हो जाएगी गांव वालों ने पत्नी को यह कह दिया कि जब आपके पति रात में नहीं रहते हैं तो आप उनका पीछा करें गांव वालों की बात मांग कर पत्नी पीछा करते हुए जंगल में चली गई और जाकर पास में झाड़ी में छुप गई भगवान शिव ने कहा कि आज हमारे और तुम्हारे अलावा तीसरा व्यक्ति भी उपस्थित है उन्होंने कहा कि मैं तो किसी को बताया नहीं तीसरा व्यक्ति कहां से आया खोजबीन करने के बाद झाड़ी में छुपी पत्नी कहीं कि मैं आपकी पत्नी हूं उसके बाद से भगवान अंतर्ध्यान हो गए और कुछ समय बाद वह अर्धनारीश्वर का रूप धारण कर पत्थर हो गए तभी से यहां पर भगवान शिव की पूजा होती है।
मंदिर की विशेषता
इस तरह तो यहां पर हर समय भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है लेकिन सावन में यहां पर प्रतिदिन रुद्राभिषेक होता रहता है।
घनश्याम भारती पीठाधीश्वर ने बताया की पुत्र कामना एवं अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए यहां पर लोग बाबा के दरबार में अपनी मुरादे मांगते हैं मुरादे पूरी होने पर यहां पर रुद्राभिषेक करवाते हैं पुत्र कामना के लिए यह स्थान प्रसिद्ध है।

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