बैतूल:एकलव्य आवासीय विद्यालय में कार्यरत रसोइयों ने मेस ठेकेदार के खिलाफ की शिकायत काम से निकाल कर मजदूरी की शेष राशि नहीं देने का लगाया आरोप 20 वर्षों से अंशकालीन रूप से भोजन बनाने का कार्य कर रहे रसोईया

मध्य प्रदेश बैतूल से शेख इकबाल की खास रिपोर्ट

बैतूल। एकलव्य आवासीय विद्यालय शाहपुर में विगत 20 वर्षों से अंशकालीन रूप से भोजन बनाने का कार्य कर रहे रसोइयों को मेस ठेकेदार द्वारा विगत 22 मार्च से कार्य करने से मना कर दिया। जिसके कारण ये सभी रसोइया बेरोजगार हो गए है। रसोइयों ने राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर पांचवी अनुसूची के विशेष उपबंधों के तहत छात्रावास में रसोइया कार्य करने के लिए अधीनस्थ विभाग को निर्देशित करने की मांग की है। इसके साथ ही इन रसोईया मजदूरों ने आलोक सिंह माँ वैष्णो ट्रेडिंग एजेंसी भोपाल के खिलाफ मजदूरी की शेष राशि नहीं देने का आरोप लगाते हुए एसपी से शिकायत की है।
रसोइयों ने बताया कि वे एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय शाहपुर में रसोईया का कार्य विगत 20 वर्षों से करते आ रहे है। छात्रावास अधीक्षक द्वारा वर्ष 2023-24 में छात्रावास में मेस का कार्य अनावेदक माँ वैष्णो ट्रेडिंग एजेंसी को दिया गया। अनावेदक एजेंसी भोपाल द्वारा पूर्व से रसोई का कार्य कर रहे रसोइयों को कार्य पर रखा गया। कम मजदूरी के कारण रसोइयों ने कार्यालय जिला श्रम पदाधिकारी को लिखित शिकायत की थी। जिला श्रम अधिकारी के द्वारा रसोइयों को राशि भुगतान करने अनावेदक को आदेशित किया गया था। रसोईया जब 22 मार्च को मजदूरी की शेष राशि लेने के लिए छात्रावास पहुंचे तो सुपरवाईजर तिलक सिंह ने अब कोई राशि नही मिलेगी ऐसी जानकारी दी। रसोइयों ने एसपी से अनावेदक एजेंसी से मजदूरी की राशि दिलाने की मांग की। रसोइयों का कहना है कि वे संविधान की पांचवी अनुसूची प्रभावित क्षेत्र विकासखंड शाहपुर जिला बैतूल के निवासी हैं। रसोइयों का कार्य कर परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। मेस कार्य करने से मना करने के कारण वे सभी बेरोजगार हो चुके है, पलायन करने को मजबूर हैं। ऐसी स्थिति में उन्होंने कलेक्टर, एसपी से न्याय की गुहार लगाई। शिकायत करने वालों में आशा विश्वकर्मा, शंका धुर्वे, आशा कहार, राजवंती बामने, रेखा मालवीय, मधु कहार, ममता यादव, शिवप्यारी सुनारिया, सुनिल, रामेश्वर तुमडाम, बबली तुमडाम शामिल है।

— भ्रष्टाचार करने के उद्देश्य से शुरू की गई ठेका पद्धति–

इस मामले में समाजसेवी हेमन्त सरियाम का कहना है कि छात्रावास के सभी रसोईया अंशकालीन मजदूर है।अनुसूचित जाति कल्याण विभाग अंतर्गत आश्रमों एवं छात्रावासों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों हेतु (कलेक्टर दर पर) भर्ती नियम 2015 के पूर्व से कार्य रहे है। जनजाति कार्य विभाग को सभी मजदूरों को स्थाई करना चाहिए था।लेकिन भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ठेका पद्धति शुरु की गई, इससे मजदूरों के साथ गलत हो रहा है।

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