खंडवा लोकसभा सांसद ज्ञानेश्वर पाटील ने लोकसभा में रखी मांग
संसदीय क्षेत्र के धार्मिक व ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों के संरक्षण और विकास के लिए कोई विशिष्ट परियोजना बनाने का किया अनुरोध
स्वदेश दर्शन’ और ‘प्रसाद’ योजना में उक्त पर्यटन स्थलों को सम्मिलित किया जाए
संसदीय क्षेत्र में पर्यटन विकास की अपार संभावनाएं
– विकास का वादा ज्ञानेश्वर दादा
धार्मिक व ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों को विकसित करने की दिशा में बढ़ते कदम
बुरहानपुर। सोमवार को खंडवा लोकसभा सांसद श्री ज्ञानेश्वर पाटील ने लोकसभा में संसदीय क्षेत्र खंडवा के धार्मिक व ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए विशिष्ट परियोजना बनाने की मांग सदन के माध्यम से पुरजोर तरीके से रखी। केंद्रीय संस्कृति व पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने विश्वास दिलाया कि सरकार द्वारा इस दिशा में कार्ययोजना बनाई जाएगी।
धरोहरों का दीर्घकालिक संरक्षण हो
लोकसभा में नियम 377 के तहत अपनी बात रखते हुए सांसद श्री ज्ञानेश्वर पाटील ने सदन के माध्यम से अनुरोध किया कि मैं सरकार का ध्यान मध्य प्रदेश राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने की ओर दिलाना चाहता हूँ। मध्यप्रदेश, जिसे “भारत का हृदय” कहा जाता है, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक स्मारकों, वन्यजीव अभयारण्यों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विख्यात है।
संसदीय क्षेत्र में कई ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के स्थल
सांसद ने मांग रखते हुए कहा कि मेरे संसदीय क्षेत्र खंडवा के अंतर्गत यहाँ असीरगढ़ का किला, कुण्डी भंडारा, राजा जयसिंह की छतरी, जैन मंदिर, श्रीराम झरोखा मंदिर, कबीर मंदिर, स्वामी नारायण मंदिर, जयंती माता मंदिर (बडवाह) पेशवा बाजीराव (प्रथम) का स्मारक(बडवाह) हनुमंतिया टापू और ओंकारेश्वर सहित अन्य कई धार्मिक व ऐतिहासिक स्थल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।पर्यटन न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करता है। इन अमूल्य धरोहरों का दीर्घकालिक संरक्षण और प्रभावी रखरखाव सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है।
सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक
सांसद श्री पाटील ने बताया कि इन पर्यटन स्थलों का रखरखाव केवल सौंदर्गीकरण का विषय नहीं है, बल्कि यह राज्य के आर्थिक भविष्य और सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक है। मेरा केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी से अनुरोध हैं कि पर्यटन स्थलों के संरक्षण और विकास के लिए कोई विशिष्ट परियोजना चलाई जाए तथा उस हेतु आवश्यक धनराशि आवंटित की जाए या केंद्र सरकार की विभिन्न पर्यटन विकास योजनाओं, जैसे ‘स्वदेश दर्शन’ और ‘प्रसाद’ योजना में उक्त पर्यटन स्थलों को सम्मिलित किया जाए जिससे यह राज्य देश के अग्रणी पर्यटन स्थलों में शुमार हो सके।