Mau News:विद्यालय एवं विद्यार्थियो के प्रति समर्पित प्रधानाध्यापक डॉ.रामविलासभारती के अनूठे पहल से बच्चे वाहन से जा रहे है विद्यालय।
Mau. Due to the self-efforts of Dr. Ram Bilas Bharti, recipient of the State Teacher Award and Head Master of Pre-Secondary School Dharauli, who is continuously dedicated for the better future of children and quality education, enrollment and attendance, children from far-flung areas are now coming to school by vehicle. Everyone is praising his dedication and attachment towards education.
घोसी।मऊ। बच्चों के बेहतर भविष्य एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, नामांकन और उपस्थिति के लिए अनवरत समर्पित राज्य अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं पूर्वमाध्यमिकविद्यालय धरौली के प्रधानाध्यापक डा राम बिलास भारती के स्वम के प्रयास से दूर दराज के बच्चे अब वाहन से विद्यालय आ,जा रहे है। हर कोई उनके शिक्षा के प्रति समर्पण के साथ लगाव की भूरिभुरी प्रशंसा कर रहा है।
प्राईवेटस्कूलों की जगह सरकारीस्कूलों के प्रति लोगों के झुकाव के लिए अथक प्रयास कर रहे डा रामबिलासभारती ने जहाँ जूनियर हाई स्कूल धरौली घोसी का कायाकल्प कर क्षेत्र में एक अलग पहचान देने के बाद एक नई पहल शुरू की है। वे अपने व्यक्तिगत खर्च से मखदुमपुर, बारईपार और स्टेशन घोसी से विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को वाहन की व्यवस्था करते हुए स्वयं भी अपनी गाड़ी से ले जाने और घर तक छोड़ने का कार्य करते हैं। यह इनका अनोखा प्रयोग है जो सभी शिक्षकों से अलग करते हुए अन्य शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक बनाता है। एक तरफ जहां बेसिक विद्यालय मर्ज किए जा रहे हैं वहीं डॉ.रामविलास भारती बेसिक शिक्षा विभाग के लिए मिल का पत्थर साबित हो रहे हैं। इनके वाहन से जाने वाले बहुत से बच्चे अब प्रतिदिन विद्यालय आ जा रहे है। इन बच्चों को ले जाने और ले आने व समय से विद्यालय उपस्थित होने के लिए इन्हें कभी अपना भोजन भी छोड़ना पड़ता है। निश्चय ही शिक्षक हो डॉ.रामविलास भारती जैसा। जबकि इस समय विद्यालय पर मात्र एक शिक्षक के रूप में हैं दूसरी एक शिक्षिका चिकित्सीय अवकाश पर हैं। इसके बावजूद विद्यालय में नामांकित 177 बच्चे हैं। और प्रतिवर्ष बच्चों में लगातार वृद्धि होती है। डॉ. रामविलास भारती ने बातचीत के दौरान बताया कि यदि शिक्षा प्रति समर्पण और लगन हो तो बच्चों की शिक्षा के लिए दूरी बाधक नहीं हो सकती है। सरकारी विद्यालय हमारी धरोहर है और बच्चे हमारी पहचान हैं। इसलिए बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए शिक्षकों और अभिभावकों का समर्पण तो जरूरी है ही हमारे उच्च पदस्थगणों का सकारात्मक रुक भी होना आवश्यक है। निःसंदेह बेसिक शिक्षा शानदार काम कर रहा है।