Azamgarh news:”अस्पताल में भ्रष्टाचार का धंधा,अधीक्षक की नाक तले हो रहा सौदा”

"नाक के नीचे भ्रष्टाचार का बाज़ार,अधीक्षक की खामोशी से लुट रही जनता"

ब्यूरो रोशन लाल

आजमगढ़ जिला का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अतरौलिया इन दिनों लगातार चर्चाओं में बना हुआ है। कभी डॉक्टरों पर बाहर से दवा लिखने का आरोप तो कभी इंजेक्शन के नाम पर अवैध वसूली, और अब जन्म प्रमाण पत्र बनाने के नाम पर पैसे लेने का मामला सामने आया है।
मामला सोमवार दोपहर का है। मंगुरगढ़ निवासी पीड़ित ज्ञानचंद कुमार ने आरोप लगाया कि अस्पताल में तैनात सहायक शोध अधिकारी (एआरओ) विशाल यादव ने उनके परिवार के चार जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए प्रति प्रमाण पत्र 300 रुपये की मांग की। पीड़ित के अनुसार जब वह पैसे देने में असमर्थ रहे, तो आरोपित ने बयान हलफी का हवाला देते हुए स्पष्ट कहा कि बिना पैसे काम संभव नहीं है।
ज्ञानचंद ने बताया कि कर्ज लेकर उन्होंने 1000 रुपये दिए, जिस पर आरोपित ने फॉर्म के पीछे 200 रुपये बकाया लिख दिया। बाद में तीन प्रमाण पत्र जारी किए और चौथा तब ही बनाया जब शेष 200 रुपये दिए गए। इससे यह सवाल उठता है कि यदि शुल्क अनिवार्य नहीं है तो चौथा प्रमाण पत्र पैसे मिलते ही कैसे जारी हो गया? स्थानीय लोगों ने भी आरोप लगाया कि अस्पताल कर्मचारी जन्म प्रमाण पत्र के नाम पर मनमानी वसूली करते हैं। एक युवक ने बताया कि उससे 500 रुपये लिए गए। यहां तक कि एक अस्पताल कर्मचारी ने बताया कि भरसानी निवासी एक मरीज एक अन्य अस्पताल में जन्मे बच्चे का प्रमाण पत्र भी ₹500 लेकर यहीं से बनवाया गया।जब इस मामले में आरोपी विशाल यादव से पूछा गया तो उन्होंने बयान हलफी का खर्चा लेने की बात स्वीकार की। वहीं, स्वास्थ्य अधीक्षक हरिश्चंद्र ने सफाई देते हुए कहा कि जन्म प्रमाण पत्र बनाने में किसी प्रकार का शुल्क नहीं लगता और न ही अस्पताल का कोई कर्मचारी इस संबंध में अधिकृत है। यदि शिकायत लिखित रूप से मिलती है तो जांच कर सख्त कार्रवाई की जाएगी। मरीज या उसके तामीरदार खुद जाकर बयान हल्फ़ी बनवा सकते हैं।आप बड़ा सवाल किया है कि प्रदेश सरकार जहां स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की बात करती है, वहीं अस्पताल के अंदर इस तरह की अवैध वसूली ने जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामला कुछ भी हो आरोपों की हकीकत तो जाँच के बाद ही पता चलेगी।

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