Azamgarh news:एसडीएम के कथित दुर्व्यवहार से आक्रोशित लेखपाल संघ बैठा धरने पर

सम्मान की रक्षा और गरिमा की मांग पर अडिग रहा लेखपाल संघ, कहा, “संविधान ने हमें भी स्वाभिमान का अधिकार दिया है”

निजामाबाद (आजमगढ़)। तहसील निजामाबाद में सोमवार को उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ की बैठक के दौरान उस समय माहौल गर्मा गया, जब उपजिलाधिकारी (एसडीएम) सुनील कुमार धनवांता सभा कक्ष में पहुंचे। लेखपाल संघ ने आरोप लगाया कि एसडीएम ने बैठक के दौरान अभद्र भाषा का प्रयोग किया और कर्मचारियों को अपमानित किया। इसी के विरोध में लेखपाल संघ के पदाधिकारी और सदस्य तहसील परिसर में धरने पर बैठ गए।धरने की अगुवाई कर रहे लेखपाल संघ के जिला अध्यक्ष दिलीप पाठक ने कहा कि नियमित रूप से आयोजित संघ की यह बैठक शांतिपूर्वक चल रही थी, जिसका उद्देश्य राजस्व कार्यों से जुड़ी समस्याओं और जनहित योजनाओं की समीक्षा करना था। इसी दौरान एसडीएम ने आकर न सिर्फ उन्हें बल्कि उपस्थित अन्य लेखपालों के साथ भी अभद्र व्यवहार किया। उन्होंने कहा, “लेखपाल प्रदेश भर में शासन की नीतियों को जमीन पर लागू करने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी निभाते हैं, लेकिन यदि उन्हीं को अपमानित किया जाएगा, तो यह व्यवस्था के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।”संघ के सदस्यों ने तहसील परिसर में घंटों धरना देकर एसडीएम से सार्वजनिक माफी की मांग की। उनका कहना था कि शासन-प्रशासन का संचालन आपसी सम्मान और सहयोग से ही संभव है।

तहसील निजामाबाद में सोमवार को हुई घटना के बाद उपजिलाधिकारी (एसडीएम) सुनील कुमार धनवांता के कथित अभद्र व्यवहार के विरोध में मंगलवार को पूरा लेखपाल समुदाय एकजुट होकर आंदोलनरत हो गया। जनपद मुख्यालय के साथ ही सभी तहसीलों और मेंहनगर तहसील प्रांगण में लेखपाल संघ ने धरना प्रदर्शन कर एसडीएम के रवैये के खिलाफ जोरदार विरोध दर्ज कराया।

संघ ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अनुशासन और सेवा भावना के प्रति समर्पित है, लेकिन किसी भी कर्मचारी की गरिमा के साथ समझौता नहीं किया जाएगा।धरना स्थल पर मौजूद वरिष्ठ लेखपालों ने कहा कि लेखपाल संघ हमेशा सरकारी नीतियों को धरातल पर उतारने में अहम भूमिका निभाता है — चाहे वह प्रधानमंत्री आवास योजना, भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण, या राजस्व विवादों का निस्तारण हो। ऐसे में कर्मचारियों के आत्मसम्मान की रक्षा अत्यंत आवश्यक है।दूसरी ओर, उपजिलाधिकारी सुनील कुमार धनवांता ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा कि 8 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे तहसील सभा कक्ष में एक शासकीय बैठक निर्धारित थी, लेकिन उसी समय लेखपाल संघ ने बिना पूर्व अनुमति के कक्ष का उपयोग कर लिया। एसडीएम ने कहा, “मैंने केवल इतना कहा था कि किसी भी सरकारी सभाकक्ष में बैठक से पहले अनुमति लेना आवश्यक है। मेरे द्वारा किसी भी अपशब्द का प्रयोग नहीं किया गया।”हालांकि, लेखपाल संघ ने कहा कि उनकी बैठक पहले से तय थी और किसी भी प्रकार का अनुशासनहीन आचरण नहीं हुआ। संघ ने मांग की कि इस मामले की जांच निष्पक्ष रूप से कराई जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके।धरने के दौरान लेखपाल संघ की एकजुटता और संयमित आचरण की व्यापक प्रशंसा हुई। कई सामाजिक संगठनों ने भी लेखपालों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को लोकतांत्रिक मर्यादा का उत्कृष्ट उदाहरण बताया।दिलीप पाठक ने अंत में कहा, “हमारा आंदोलन किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि सम्मान और संवाद की संस्कृति को बनाए रखने के लिए है। लेखपाल संघ सदैव प्रशासन का सहयोग करता रहेगा, लेकिन अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

 

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