Mau Newsहास्यव्यंग कवि मुन्नू मनहूस की मौत से एक युग का अंत। साहित्यपरिगषदगोठा समेत अन्य सामाजिक संगठनो ने दी श्रद्धांजली।
घोसी। दोहरीघाट। जब झूठ बोलही के ना त विधायक हो के का करब के रचियता मुन्नू मनहूस के निधन पर क्षेत्र में शोक की लहर व्याप्त हो गई।
,भिड़ा दिजिये, स्लोगन से मशहूर हुए ब्लाक क्षेत्र पाउस गांव निवासी कवि मुन्नु उपाध्याय उर्फ मुन्नू मनहुस उम्र 83 वर्ष के निधन से एक कवि युग का अंत हो गया जिससे को लेकर सामाजिक संगठनो ने स्व मनहूस को श्र्द्धांजली दी तथा कहा कि एक कवियुग का अंत हो गया।
साहित्यपरिषदगोठा के उपाध्यक्ष पूर्व प्रधान बिजेन्द्रराय ने कहा मनहूस जी हास्य व्यंग के विख्यात कवि थे । जब हो मंच पर होते थे समां बाध देते थे। उनकी पंक्तियां थी लायक होके का करब, नालायक होके का करब जब झूठ बोलही के ना त विधायक होके का करब ,काफी सराही जाती थी ,
उनका व्यंग शिक्षा व्यवस्था को भी आईना दिखाता था कि ,छात्र संघ को सिनेमा हाल से ,अभिभावक संघ को परिक्षा हाल से ,शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिये भिड़ा दिजीये ,
भिड़ा दिजीये का स्लोगन ही उनकी पहचान बन गयी थी विरले ही ऐसा कोई कवि होगा जो हर विधा की कविता मे माहिर हो यह मुकाम उनको हासिल था ।उन्होने हास्य व्यंग के साथ देशभक्ति मे भी मंच से काव्यपाठ करते हुए पढ़ते थे कि ,शांति शांति क्या बोला जाये ,कितना अमृत घोला जाये, झोंक अग्नि का शोला जाये ,फेंक जहां तक गोला जाये,रोमांच ला देते थे। ,कवि व्याकुल ने कहा की मनहूस जी एक मिलन सार व हास्य मंच के जादूगर कवि थे विक्ट्री इण्टर कालेज के प्रवक्ता आनंद राय ने कहा कि मनहूस जी के जीवन सादगी पूर्ण रहा जैसा नाम था वैसा ही उनका स्वभाव था मंच पर मौजूदगी पुरे कवि सम्मेलनो को सफल बना देती थी उन्होने अपना भरपूर जीवन जिया है वे कहते थे कि आज कवियो मे फुहड़ता अश्लीलता हो गयी है ग्रामिण बैंक के पूर्वरिजनलमैनेजर रमेशराय ने कहा कि मनहुस जी कविकुल श्रेष्ठ थे। उनकी मंच पर प्रस्तूति एक अमिट छाप छोड़ जाती थी एक कवि का ऐसे चला जाना सबको खल गया ।शोक संवेदना जताने वालो मे अजीत राय चन्द्रभानउपाध्याय, गोविन्द पहलवान, विपिनराय, ओमप्रकाशराय, वीरेंद्र उपाध्याय,अरुणपांडेय,अनिल गुप्त,प्रेमचन्दपाण्डेय ,डा लक्ष्मीनारायणराय,विवेकानंदराय, विनोदवर्मा ,संजयराय,राजेशराय समेत आदि लोग रहे ।