Deoria news, श्री हरि शरणम मंत्र से होती है मनुष्य की विपत्ति दूर

हरि:शरणम् मंत्र
से होती है मनुष्य की विपत्ति दूर ,आचार्य बृजेश मणि त्रिपाठी।
देवरिया।
बरहज तहसील क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम महुई मिश्र, में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर आचार्य बृजेश मणि त्रिपाठी ने भागवत कथा का रसपान करते हुए कहा कि
श्री हरि शरणम
श्रीमद्भागवत पुराण में कई जगह वर्णित है। नारद  सनकादि संवाद में इसका वर्णन आया है—
हरिः शरणमेव हि नित्यं येषां मुखे वचः ।
अथ कालसमादिष्टा जरा युष्मान्न बाधते।
सनकादि ऋषि निरंतर इसी मंत्र का जप करते हैं जिसके प्रभाव से इन्हें जरा अवस्था प्रभावित नहीं करती है।अनेक सिद्ध संत महात्माओं का कथन व अनुभव है कि जब घोर निराशा   चारों ओर व्याप्त हो जाए कहीं कोई रास्ता ना दिखे और अनेकों संकट उपस्थित हो जाए तब निरंतर इस मंत्र का जप व कीर्तन करने से समस्या का समाधान व संकटों से मुक्ति मिल जाती है।रोग आदि मे भी इसका प्रभाव देखा गया है सकाम भाव से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी इस मंत्र का अनुष्ठान करने से कार्य की सिद्धि होते देखी गई है, यह मंत्र कितना प्रभावशाली है इसके निम्नलिखित कारण हैं– यह एक तरह से भगवान का शरणागत मंत्र है और शरणागत के विषय में भगवान के निम्नलिखित वचन शास्त्रों में प्राप्त होते हैं।
1)कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू। आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू॥
जिसे करोड़ों ब्राह्मणों की हत्या लगी हो, शरण में आने पर मैं उसे भी नहीं त्यागता।
2) सरनागत कहुँ जे तजहिं निज अनहित अनुमानि।
ते नर पावँर पापमय तिन्हहि बिलोकत हानि॥43॥
(श्री रामजी फिर बोले-) जो मनुष्य अपने अहित का अनुमान करके शरण में आए हुए का त्याग कर देते हैं, वे पामर हैं, पापमय हैं, उन्हें देखने में भी हानि है (पाप लगता है)॥43।।
3)अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जना: पर्युपासते |
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्
। जो अनन्य भक्त मेरा चिन्तन करते हुए मेरी उपासना करते हैं, मेरे में निरन्तर लगे हुए उन भक्तों का योगक्षेम (अप्राप्त की प्राप्ति और प्राप्त की रक्षा) मैं वहन करता हूँ।
4)सकृदेव प्रपन्नाय तवास्मीति च याचते।
अभयं सर्वभूतेभ्यो ददाम्येतद्व्रतं मम॥६-१८-३३॥
—रामायणम्
‘जो एक बार भी शरण में आकर ‘मैं तुम्हारा हूँ’ ऐसा कहकर मेरे से रक्षा की आचना करता है, उसको मैं सम्पूर्ण प्राणियों से अभय कर देता हूँ’‒यह मेरा व्रत है इन सब  वचनों के कारण  भगवान को रक्षा करनी ही पड़ती है। अतः इस मंत्र का जाप नीरंतर करते रहना चाहिए तभी आपका कल्याण हो सकता है । श्रीमद् भागवत कथा के दौरान मुन्ना मिश्रा, मृत्युंजय पांडे, अनिल कुमार, महादेव ,राजन चौबे, प्रशांत कुमार ,ओम प्रकाश मिश्रा, वेद प्रकाश मिश्रा, आनंद प्रकाश, देवव्रत मिश्र ,सत्य प्रकाश मिश्रा, मारकंडे पांडे आदि मौजूद रहे।

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