Deoria news:अटल निश्चयी को मिलती हैं अर्थ की प्राप्ति

अटल निश्चयी को मिलती है अर्थ की प्राप्ती डाक्टर श्रीप्रकाश। देवरिया।
कपरवार घाट में चल रही श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ में श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए कथाव्यास डाक्टर श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि अर्थ की प्राप्ति पांच साधनों से होती है पहला माता पिता का आशिर्वाद दूसरा गुरुकृपा तीसरा कर्म चौथा भाग्य पांचवां प्रभू कृपा इन पांच साधनों से ध्रुव को अर्थ की प्राप्ति हुई थी । उन्होंनें ध्रुव चरित्र की कथा कहते हुए कहा कि राजा उत्तानपाद की दो रानियां सुरुचि व सुनीति थीं व दो पुत्र भी थे । सुरचि के पुत्र का नाम उत्तम व सुनीति के पुत्र का नाम ध्रुव था ध्रुव जी बहुत संस्कारी थे । एक दिन राजा उत्तानपाद अपनी प्रिय रानी सुरुचि के साथ सिंहासन पर बैठा था उसी समय पांच वर्ष के ध्रुव ने भी पिता की गोद में बैठना चाहा उत्तानपाद बडे प्रेम से ध्रुव को भी गोद मे बैठाना चाहा लेकिन सुरुचि के डर से बैठाया नही और सुरुचि ने ध्रुव को लताड़ते हुए कहा कि तुम अगर राजा की गोद में बैठने की इतनी लालसा है तो जंगल मे जाकर भगवान की आराधना कर वरदान मांग कि हे भगवान मुझे सुरिचीके पेट से पैदा करो और लात मारकर महल के बाहर कर दिया । रोते हुए ध्रुव मां सुनिति के पास आया मां सुनीति ने सब हाल जानकर अपने पुत्र ध्रुव से कहा की तेरी विमाता ने जो कहा सत्य ही कहा मै भी तुम्हें यही कहती हूं अगर गोदी मे ही बैठना ही है तो भगवान की गोदी में बैठो मेरे आशिर्वाद हें तेरे साथ । ध्रुव जी सभी का आशिर्वाद लेकर वन में जाकर नारद जी के बताये हुए मंत्र का जप करते हुए भगवान का दर्शन व वरदान प्राप्त कर छत्तीस हजार वर्ष तक राज्य कर अंत में ध्रुव लोक को चले गये । इस अवसर पर सुरेन्द्र प्रसाद गुप्त राम अवध गुप्त अनिल गुप्त राम अधार अमित मिश्र आदि श्रोताओ ने कथा का रसपान किए ।

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