Deoria news:भागवत कथा से पुष्ट होता है ज्ञान एवं वैराग्य आर्चाय नीतीश, त्रिपाठी
भागवत कथा से पुष्ट होता हैं ज्ञान एवं वैराग्य , आचार्य नीतीश त्रिपाठी
देवरिया।
बरहज नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत पचौहा वार्ड में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा यज्ञ के अंतर्गत वाराणसी से पधारे हुए आचार्य नीतीश त्रिपाठी ने कहा कि श्रीमद्भागवत महात्म्य में भक्ति, ज्ञान और वैराग्य को महत्त्वपूर्ण बताया गया है। भक्ति, वैराग्य और ज्ञान से युक्त होने पर ही कर्म निष्काम होता है। भागवत कथा के श्रवण से ज्ञान और वैराग्य को बल मिलता है, जिससे भक्ति आनंदित होती है। ज्ञान और वैराग्य भक्ति के पुत्र कहे गए हैं, जो उसके बिना अधूरे हैं।यह कथा कर्मों के महत्व और श्रीमद्भागवत कथा की महिमा को दर्शाती है।
गोकर्ण और धुंधकारी दो भाई थे। गोकर्ण धर्मात्मा, विद्वान और ज्ञानी थे, जबकि धुंधकारी दुष्ट, पापी और व्यभिचारी निकला। अपने पापों के कारण धुंधकारी की मृत्यु प्रेत योनि में हुई और वह भटकने लगा।
गोकर्ण ने अपने भाई की प्रेत योनि से मुक्ति के लिए सूर्य देव के निर्देशानुसार सात दिन की श्रीमद्भागवत कथा का सप्ताह आयोजित किया। धुंधकारी का प्रेत बाँस के सात गाँठों वाले एक छेद में बैठकर कथा सुनता रहा। कथा के प्रभाव से, एक-एक दिन बीतने पर बाँस की एक-एक गाँठ फटती गई और सातवें दिन कथा समाप्त होने पर धुंधकारी प्रेत योनि से मुक्त होकर दिव्य रूप प्राप्त कर मोक्ष को चला गया।
इस कथा का सार यह है कि व्यक्ति को अपने कर्मों का फल मिलता है, लेकिन भागवत कथा का श्रवण (सुनना) और चिंतन सबसे बड़े पापी को भी मुक्ति दिला सकता है। इस अवसर धनंजय कुमार सिंह, रामप्रताप सिंह ,रत्नेश सिंह, कृष्ण मुरारी सिंह,वशिष्ठ मिश्रा, आलोक सिंह, श्री नेत रंजन सिंह ,मोनू सिंह, समीर सिंह, उदय प्रताप सिंह, डिंपू सिंह, सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे। कथा के विश्राम के अवसर पर मुख्य अजमान बनवीर सिंह एवं सुरसती देवी ने भागवत भगवान की आरती उतारी।



