देवरिया:असुरों के विनाश हेतु इश्वर लेते अवतार
रिपोर्टर ,विनय मिश्र
बरहज, देवरिया।उक्त बातें नौका टोला में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए कही । उन्होंने कहा कि जब द्वापरयुग में कंसादि असुरों का चारों तरफ बोलबाला हो गया लोग दु:खी हो गये धरती से यह सहा नहीं गया वह ब़्म्हांजी के पास जाकर अपना दुखड़ा सुनाई। ब़म्हांदि देव क्षीर सागर के तट पर जाकर नारायण को पुरूषसुक्त के द्वारा पुकारने लगे । उसी समय आकाशवाणी हुई कि मैं कुछ ही समय में देवकी वसुदेव के यहां अवतार लेकर सारे आताईयों का संहार करके पृथ्वी का भार दूर करूंगा । भगवान से आस्वस्त होकर सभी देव अपने अपने धाम को चले गये । इधर देवकी वसुदेव का विबाह हुआ कंश अपनी बहन की बिदाई में अनेक दास दासियां एवं हजारों सोने के रथ दिये । जिस रथ पर देवकी वसुदेव थे उस रथ का संचालन स्वयं कंश कर रहा था। उसी समय आकाशवाणी हुई कि रे कंश जिस बहन देवकी की इतनी प्रेम से विदाई कर रहा उसी देवकी की आठवीं संतान तेरा बध करेगी । इतना सुनते ही कंश के हाथों से लगाम छूट गया और वह देवकी की चोटी पकड़ कर खींचते हुए तलवार से सर काटने को तैयार हो गया। तब वसुदेव जी ने कंश से कहा देवकी तो आपकी मृत्यु का कारण है नहीं उसकी सारी संतानों को आपके हवाले कर दूंगा। कंश मान गया। देवकी वसुदेव के यहां प्रथम बालक का जन्म हुआ उसे कंश को दे दिया कंश ने कहा मेरा काल आठवां है इसे ले जाईए । इसपर नारदजी आकर कंश को बताया कोई भी आठवां हो सकता है । कंश देवकी वसुदेव को कारागार में डाल कर देवकी के छः संतानों की हत्या कर दी। सातवीं संतान के रूप में बलराम जी आये उनको देवकी के गर्भ से आकर्षित कर रोहिणी के उदर में डाल दिया । आठवीं संतान के रूप में स्वयं भगवान आये सारे देवता गर्भवासी नारायण की आराधना कर अपने लोक गये । उसके बाद भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि में देवकी वसुदेव के सामने चतुर्भुज रूप में प्रकट होकर कहने लगे मुझे गोकुल में नंद यशोदा के यहां पहुंचा दीजिए और वहां से मेरी माया को लेते आइये ग्यारह वर्षो बाद आपके कष्टों का निवारण करूंगा । और यह कहकर दो हाथों वाले बालक बन कर सूप सहित वसुदेव जी के गोदी में चले गए । सारे किवाड़ खुल गये सारे पहरेदार सो गये वसुदेव जी यमुना नदी को पार कर गोकुल में नंद यशोदा के यहां पहुंचकर कृष्ण को सुलाकर माया को लेकर जेल में आ गये कन्या रोनें लगी कंश दौडता हुआ आकर कन्या का पैर पकड़ कर पटकनें चला कन्या हाथ से छूटकर आकाश में जाकर अष्टभुजा का रुप धारण कर बोली रे दुष्ट तू क्या मारेगा तुझे मारने वाला कहीं और अवतरित हो गया है और तेरा बध करेगा । इतना सुनते देवकी वसुदेव को बंधन मुक्त कर दिया और क्षमा मांगी । इधर गोकुल में सबेरा हुआ कृष्ण के जन्म का समाचार सुनकर पूरे गोकुल वासियों को खुशी का ठिकाना नहीं रहा । नंद यशोदा बहुत सामान लुटाए नंदोत्सव मनाया गया। जिला शासकीय अधिवक्ता राजेश मिश्र उमाशंकर मिश्र संतोष मिश्र मनोज तिवारी विरेन्द्र मिश्र बिजेंद्र सिंह हरेंद्र तिवारी आदि श्रोताओं ने कथा का रसपान किये और आरती और प्रसाद का वितरण किया गया ।