देवरिया:कलयुग केवल नाम अधारा सुमिर सुमिर नर उतरे पारा-कथा व्यास पंडित विनय मिश्रा
श्री कृष्ण कथा कहते अंगद द्विवेदी प्रवक्ता स्वामी देवानंद इंटर कॉलेज मठ लार एवं पीठाधीश्वर अजज्नेय दास महाराज अनन्त पीठ आश्रम बरहज।
बरहज/देवरिया/बुधवार की देर शाम सरयू तट पर राम कथा कहते पंडित विनय मिश्रा ने श्रोताओं से बताया की राम की महिमा अपार है। जो राम के गुड़ को समझ लेता है। वह मनुष्य सांसारिक मोह माया से मुक्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि कलयुग में केवल भगवान श्री हरि का नाम लेने से ही मनुष्य भवसागर को पार कर जाएगा।
गर पालिका परिषद क्षेत्र में सरयू तट पर सरयू सत्संग समिति द्वारा तीस बरसों से सरयू स्थान पर तीन दिवसीय श्री राम कथा फागुन माह के प्रथम सप्ताह में प्रारंभ होता है। यह कथा तीनों तक सुबह शाम चलता है। बुधवार की देर शाम सरयू तट पर कथा सुनने के लिए नगर के लोगों की भारी भीड़ होती है। प्रशासन के तरफ से भी रात्रि कालीन कथा के समय सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं। जिससे कथा में आए हुए श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत ना हो सके। दुसरे प्रसंग में कथा व्यास विनय मिश्रा ने भाव की चर्चा करते हुए कहा कि भगवान भाव से मिलते हैं। भगवान साधना ,उपासना, आराधना, सभी के साथ भगवान से आपके भाव जुड़ जाए तो भगवान आपके पास है। श्रीमद् भागवत का उदाहरण देते हुए कहा कि गजेंद्र का जीवन संकट में था। ग्राह पांव पड़कर सरोवर के भीतर ले जा रहा था। पहले गजेंद्र को विश्वास था। कि मेरे परिवार कुटुंब के लोग मेरी रक्षा करेंगे लेकिन जब कोई रक्षा नहीं कर सका ।तब गजेंद्र ने भगवान को उसे संकट की घड़ी में भाव के साथ पुकारा गजेंद्र के भाव पर भगवान नंगे पांव दौड़े हुए गजेंद्र की रक्षा की। ठीक इसी तरह से उन्होंने द्रौपदी के भी मर्यादा की रक्षा की दुशासन द्वारा द्रौपदी को निर्वस्त्र किये जा रहा था। लेकिन भगवान ने वस्त्र इतना बढ़ा दिया की दुशासन थक गया। और कहने लगा साड़ी बीच नारी है। की नारी बीच साड़ी है। भगवान तो केवल भाव के भूखे हैं प्रेम के भूखे हैं, गोस्वामी जी कहते हैं।
राम ही केवल प्रेम पियारा, जान ले हु जग जाननी हारा।
इसलिए सुधी श्रोताओं भगवान का भजन भाव से करें इस भवसागर से पार हो जाएंगे ।
गुरुवार की सुबह श्री कृष्ण कथा कहते हुए अंगद प्रसाद द्विवेदी ने श्री कृष्ण के बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए बताया की एक बार की बात है भगवान श्री कृष्णा यमुना नदी के किनारे अपने मुख में मिट्टी खा रहे थे। उनके शाखा उनकी माता यशोदा से इसकी शिकायत कर दी तब भगवान श्री हरि ने अपने माता से कहा नहीं मैं या यह सभी मेरे मित्र आपसे झूठ बोल रहे हैं। मैं तो मिट्टी खाया ही नहीं है। आप चाहे तो मैं अपना मुख खोल रहा हूं। आप स्वयं देख ले यह कहकर भगवान श्री कृष्ण ने जब अपना मुंह खोल तो माता को सारी सृष्टि एक साथ दिखाई देने लगा और माता यशोदा भगवान श्री हरि के चरणों में पड़ गई । यह देखकर भगवान श्री कृष्ण योग माया को आदेश दिया कि माता को यह जो दर्शन हुआ वह फिर कभी ना हो। उन्होंने आगे श्रोताओं से बताया कि जो जिस रूप में भगवान से कृष्ण भगवान राम और शिव या अन्य देवी देवताओं को सुमिरन करता है। वह देवी देवता भी उस भक्त को उसी रूप में भजते हैं।
राम कथा के अवसर पर कथा व्यास अंगद प्रसाद द्विवेदी, विद्याभूषण, उदय शंकर शुक्ला ,अरविंद व्यास राधे-राधे ,सुमन जी महाराज, गणेश मिश्रा एवं कथा के आयोजक सुधाकर त्रिपाठी सहित अन्य श्रोतागण कथा में मौजूद रहे।