कानूनी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के लिए गलत जानकारी देने वालों पर कड़ी कार्रवाई का आदेश

Order for strict action against those who provide false information for legal succession certificate

मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कानूनी उत्तराधिकार प्रमाणपत्र के मामले में गलत जानकारी देनेे वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का आदेश दिया।

 

 

 

 

 

चेन्नई, 14 मई । मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कानूनी उत्तराधिकार प्रमाणपत्र के मामले में गलत जानकारी देनेे वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का आदेश दिया।

 

 

 

 

न्यायमूर्ति एस.एम.सुब्रमण्यम की एकल पीठ ने उन लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई का आदेश दिया, जो कानूनी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए आवेदन करते समय सही तथ्यों को छुपाते हैं।

 

 

 

 

 

अदालत ने यह भी कहा कि उन सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, जो फर्जी आवेदकों के साथ मिलकर ये प्रमाणपत्र जारी करते हैं।

 

 

 

 

 

कोर्ट ने राजस्व प्रशासन के आयुक्त को पांच सप्ताह के भीतर एक परिपत्र जारी करने का निर्देश दिया। इसमें राज्य के सभी राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिया जाएगा कि यदि उनके पास सही जानकारी छिपाकर कानूनी उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र के लिए कोई आवेदन आता है, तो वे पुलिस में शिकायत दर्ज करें।

 

 

 

 

 

न्यायाधीश ने कोयंबटूर के एम. मरानन द्वारा दायर एक याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश दिया। याचिकाकर्ता ने मेट्टुपालयम तहसीलदार के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसके पिता मरन्ना गौडर की मौत के बाद कानूनी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी करने के उसके अनुरोध को खारिज कर दिया गया था।

 

 

 

 

 

मामले में अतिरिक्त सरकारी वकील यू. भरणीधरन ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करते समय एक भाई और दो बहनें होने के तथ्य को छुपाया था, इसलिए तहसीलदार ने प्रमाणपत्र जारी करने से इनकार कर दिया था।

 

कोर्ट ने कानूनी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के लिए झूठे दावों से जुड़े ऐसे कई मामले सामने आने पर चिंता जताई।

 

 

 

 

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम ने राजस्व अधिकारियों को सभी बेईमान आवेदकों के खिलाफ तुरंत आपराधिक शिकायत दर्ज कराने का आदेश दिया।

 

 

 

 

 

उन्होंने कहा, ”जब तक इस तरह की दंडात्मक कार्रवाई शुरू नहीं की जाएगी, तब तक इस बुराई को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल होगा।” उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकारी अधिकारी भी संलिप्त पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए।

 

 

 

 

 

न्यायाधीश ने राजस्व प्रशासन आयुक्त को निर्देश दिया कि फर्जी आवेदकों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने में विफल रहने वाले तहसीलदारों को भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी जाए।

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