इतिहास साक्षी हैं कि जो प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर चला है, वही अब तक सुरक्षित रहा…
इतिहास साक्षी हैं कि जो प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर चला है, वही अब तक सुरक्षित रहा...
हमें प्रकृति द्वारा निरंतर दी जा रही इन चेतावनियों को समझना..
पहाड़ हो या नीचे के इलाके सभी जगह गर्मी का प्रकोप जारी हैं और जलवायु परिवर्तन और बढ़ता जा रहा तापमान हमारे समक्ष एक गंभीर संकट की तरह खड़ा है जिसके प्रति अगर हम आज सजग नहीं हुए तो जल्द ही हमारे अस्तित्व के लिए यह एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
इससे संबंधित खबरों में बताया जा चुका है कि बढ़ते तापमान की वजह से समुद्र का स्तर इस सदी के अंत तक इतना बढ़ जाएगा की बहुत से द्वीपों और शहरों का नामो-निशान मिट सकता है!अब भी समय है कि हम चेत जाएं!इतिहास साक्षी है कि जो प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर चला है वही अब तक सुरक्षित है जबकि प्रकृति के विरुद्ध जाने वाली प्रजातियों का कोई नामलेवा तक नहीं बचा है!
हमें प्रकृति द्वारा निरंतर दी जा रही इन चेतावनियों को समझना चाहिए नहीं तो हम आने वाली पीढ़ियों को जो संकट की विरासत देकर जाएंगे उसके लिए सभ्यता का इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा।