Azamgarh news:पूजा के समय ही काल के गाल में समा गया लाल, फिर भी नहीं डिगी आस्था,माहुल के शिवा जी मेन चौक पर 56 बर्ष एक ही परिवार कर रहा मूर्ति की स्थापना,आयोजन के लिए किसी को नहीं काटी जाती चंदे की रसीद
At the time of puja, the red rose in the cheeks of time, still faith did not dig, the same family has been installing the idol for 56 years at Shivaji Main Chowk in Mahul, no one is cut the receipt of donation for the event.
आजमगढ़: माहुल बाजार के शिवाजी मेन चौक पर 56 वर्षों से बिना किसी के सहयोग से एक ही परिवार द्वारा पंडाल में मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है, लेकिन इसके पीछे एक पक्ष ऐसा भी, जिसे सुन लोग दंग रह जाते हैं। एक समय ऐसा भी आया कि पूजा के समय ही आयोजक के आठ वर्षीय पुत्र की आकस्मिक मौत हो गई, लेकिन पूजा जारी रही। इससे भी खास यह कि दादा की परंपरा का निर्वाह पौत्र करते हैं और किसी से एक पैसा चंदा नहीं लेते।
माहुल के मुख्य चौक पर 56वर्षो से पांडाल में स्थापित होती है मां की प्रतिमा।
पंडाल में मां के दर्शन के लिए आस-पास के गांवों के अलावा दूर-दराज से काफी लोग आते रहते है। वर्ष 1971 में यहां के वॉर्ड न तीन निवासी केदारनाथ जायसवाल ने पांडाल में मां की प्रतिमा स्थापित कर मां की पूजा का शुभारंभ किया। 1998 में जब उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई, ताे इकलौते पुत्र ओमप्रकाश जायसवाल से कहा कि मेरे न रहने पर भी पूजा बंद नहीं होनी चाहिए और न ही किसी से चंदा आदि लेना है। पिता के आदेशों का पालन करते हुए ओमप्रकाश ने पंडाल को और भव्यता देते हुए मां की पूजा को जारी रखा। वर्ष 2008 में पंडाल में मां की आरती के समय उनका आठ वर्षीय पुत्र राजन छत से गिरकर काल के गाल में समा गया, लेकिन पूजा नहीं रुकी। उनका कहना था कि जो भी होता है सब मां की इच्छा से होता है।
ओमप्रकाश के स्वास्थ खराब होने पर उनके मझले पुत्र सुजीत जायसवाल आंसू पिछले 10 वर्षों से आयोजन कर रहे हैं।है इसमें किसी का आर्थिक सहयोग नहीं लेते। कहते हैं कि जब परिवार के पास कुछ नहीं था, तमाम विपत्तियां थीं और पूजा नहीं रुकी, तो आज मां की कृपा से हमारे पास बहुत कुछ है।