माँ अष्टभुजी मंदिर मे भक्तो का लगता मेला, भक्तो के होती है मुराद पूरी
गंभीरपुर से पद्माकर मिश्रा की रिपोर्ट
आजमगढ़:नवरात्र के पांचवें दिन ब्लॉक मुहम्मदपुर के बैराडीह उर्फ़ गंभीरपुर मे माँ अष्टभुजी मंदिर मे श्रद्धालु स्कंद माता की पूजा अर्चन करते हुए नजर आए। वही हमेशा लगा रहता है मां अष्टभुजी के दरबार में भक्तों का मेला
मां से जो मन्नतें मांगते हैं सबकी मनोकामना पूर्ण होती है और
मनोकामना पूर्ण होने पर मां के दरबार में श्रद्धालुओं द्वारा घंटियां बाँधी जाती है।जानकारी के मुताबिक जनपद मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर स्थित आजमगढ़ जौनपुर मुख्य मार्ग पर बैराडीह उर्फ गंभीरपुर ग्राम सभा स्थित है जिसकी तहसील निज़ामाबाद व थाना गंभीरपुर है जिसके गंभीर पुर बाजार से मार्टिनगंज रोड पर बाजार से लगभग एक किलोमीटर दूर एक प्राचीन अष्टभुजी माता का मंदिर है जिसकी स्थापना सन 1984 कार्तिक पूर्णिमा के दिन की गई मंदिर की स्थापना स्व पलटू यादव पुत्र बल्ली यादव द्वारा किया गया। उनकी आस्था मंदिर बनवाने की थी।बताते चलें की पलटू यादव द्वारा अपने खेत में खेती कर रहे थे इस दौरान सर्प निकला और उन्होंने फावड़े से उसे मार दिया लेकिन उसके बाद दूसरा तीसरा चौथा पांचवा इस तरह से 32 सर्प निकले इसके पश्चात उनको अचानक किसी ने एहसास दिलाया कि यहां पर माता जी का मंदिर की स्थापना करो इस क्षेत्र में लोगों का भला होगा और क्षेत्र का विकास होगा इसके पश्चात मां की आस्था को ध्यान में रखते हुए उनके द्वारा सन 1984 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन इस मंदिर की स्थापना की गई तब से यहां पर लोगों का आवागमन रहता है और एक विशाल मेले का आयोजन भी नवरात्र के पावन पर्व पर किया जाता है चैत्र और कुवार दोनों नवरात्र में एक बड़ा मेला लगता है उनके पुत्र रामजीत यादव द्वारा बताया गया किया मंदिर मे क्षेत्र के अगल-बगल के लोगों के सहयोग से भी बहुत सारे कार्य कराए गए हैं इसमें क्षेत्र के लोगों का बहुत ही सहयोग रहा है मंदिर पर आए व्यवस्थाओं से ही मंदिर का संचालन किया जाता है और माता जी की कृपा ऐसी की कोई भी कार्य मंदिर का रुकता नहीं है सब उनके आशीर्वाद से और उनके भक्तों के प्यार से पूर्ण होता है ,मंदिर पर चारों तरफ बहुत सारी घंटियां बांधी गई हैं बात करने पर उन्होंने बताया कि घंटिया को बाधने के पीछे एक रहस्य है जितने लोगों द्वारा अपनी मनोकामना माता के दरबार में आकर मानी जाती है मनोकामना पूर्ण होने के बाद श्रद्धालुओं द्वारा घंटिया बांधी जाती हैं।