35 प्रतिशत से अधिक अपूर्ण परीक्षाफल परीक्षार्थियों के परेशानी का सबब .. आईएनसी बना कमाई का ज़रिया
जिला संवाददाता, विनय मिश्र ।
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर की कार्यप्रणाली से परीक्षार्थी बेहद परेशान नज़र आ रहे हैं । पहले तो प्रवेश पत्र में व्यापक रूप से नाम पिता का नाम जेंडर और विषय संबंधी त्रुटियो से उन्हें दो चार होना पड़ा और अब विश्वविद्यालय द्वारा घोषित परीक्षाफल में व्यापक पैमाने पर बरती जा रही ख़ामियो से परीक्षार्थियों की मुसीबत बढ़ती नज़र आयी आर आ रही है ।अभी तक घोषित परीक्षाफल में 35 प्रतिशत से अधिक परीक्षार्थियों के किसी एक प्रश्न पत्र का अंक अपलोड न होने और परीक्षा फल में आईएनसी प्रदर्शित होने से उनकी परेशानी बढ़ गई है ।इस अपूर्ण परीक्षाफल का खामियाजा उन्हें महाविद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक धन उगाही का शिकार होकर भुगतना पड़ेगा ।इतने बड़े पैमाने पर आईएनसी का रहस्य लोगो की समझ में नहीं आ रहा है। एक अपूर्ण परीक्षा फल पूर्ण करने में कम से कम विद्यार्थियों का पाँच सौ से एक हज़ार तक कढ़ करना पड रहा है।आख़िर यह बात समझ में नहीं आ रही है की जब महाविद्यालयो द्वारा सभी परीक्षार्थियों का अंक अपलोड किया गया है तो विश्वविद्यालय द्वारा घोषित परीक्षा परिणाम में 35 प्रतिशत से अधिक परीक्षार्थियों के किसी न किसी एक प्रश्न पत्र का अंक प्रदर्शित क्यों नहीं हो रहा है। परीक्षार्थियों को आशंका है कि कहीं इसके पीछे परीक्षा परिणाम घोषित करने वाली एजेंसी का कोई छिपा एजेंडा तो नहीं है। जब परीक्षा फल अपूर्ण रहेगा तो उसे ठीक करने विश्विद्यालय आना पड़ेगा और विश्विद्यालय में त्रुटि सुधार कैसे होता है यह सभी लोग भली भाँति जानते है । स्नातक और परास्नातक के अधिकांश विषयों में इस तरह की दिक़्क़त से परीक्षार्थियों को रूबरू होना पड़ रहा है ।माननीया कुलपति महोदया बार बार यह आश्वासन तो देती हैं की आगे से ऐसी कमी नहीं होगी लेकिन हर वार की यही कहानी है ।ऐसे में विद्यार्थी क्या करे ? यह समझ से परे है । महामहिम की नज़र में सुर्खुरु बनने के चक्कर में आनन फ़ानन में रिजल्ट तो घोषित कर दिया जा रहा है लेकीन बड़े पैमाने पर आई एन सी का ख़ामियाज़ा तो छात्रों को भुगतना पड रहा है।जिन्हें दूसरे संस्थानों में प्रवेश लेना है सबसे बड़ी मुसीबत उनके लिए है।