अय्यामे अज़ा का आखरी दिन नाना पैगम्बर मुहम्मद के रौज़े पर उनकी नातिन ज़ेनब की आमद।। 

 

रिपोर्ट:अशोक श्रीवास्तव। घोसी। मऊ।

। घोसी।मऊ।

घोसी नगर के बड़ागाँव में गुरुवार को कर्बला में शहीद होने के बाद इमाम हुसैन के काफिले के बचे लोगो को यजीद के चंगुल से आजाद होने के बाद मदीना पहुचने की याद में अय्यामे अज़ा के आखरी दिन के अवसर पर अमारी ताबूत दुलदुल और अलम का जुलुस निकाला गया।इस अवसर पर मौलाना जनान असगर दिल्ली, मौलाना मुजाहिर हुसैन,ने तकरीर पेश कर श्रधांजलि पेश किया।वही विश्व प्रसिद्ध नौहाखां सैय्यद आमीर हसन आमीर अतरौला द्वारा नौहा पेश किया गया।

बड़ागाँव के पूरब मोहल्ला मस्जिदे ज़हरा से पैग़म्बर मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन जो 28 रजब स: 61 हिजरी को जो काफिला कर्बला शांति का सन्देश देने गया था। और वहां 10 मोहर्रम को उनके परिवार व उनके साथियो के लोगो को बेदर्दी के साथ कत्ल कर दिया गया था।साथ ही उन के परिवार और काफिले के बचे लोगो को यजीद द्वारा कैद कर एक साल तक शाम के कैद खाना में रखा गया।जहा पर लोगो के विरोध के बाद इमाम हुसैन की बहन ज़ैनब के साथ उन के परिवार के सभी लोगो को छोड़ा गया।और लोग आज ही के दिन मदीना मुहम्मद साहब के कब्र के पास पहुचे।इस घटना की याद में मस्जिदे ज़हरा से अलम व ताबूत व अमारी का जुलुस धार्मिक रीति-रिवाज के साथ निकल कर अपने परम्परागत रास्तो से होते हुये छोटे फाटक, मदरसा हुसैनिया, नीमतले, बड़े फाटक हुते हुए देर शाम राष्ट्रीय राजमार्ग 29 पर स्थित शिया सदर इमामबाड़ा पर पहुच कर समाप्त हुआ ।जिसमे नगर की व बाहर गाँव से आई अंजुमन एवं गाँव की सभी अंजुमनो ने नौहाखानी पेश किया। और दुनिया के मशहूर नौहाखान सैय्यद आमीर हसन आमीर ने नौहा पेश किया इस मंजर को बयान किया कि जब इमाम हुसैन की बहन ज़ैनब मोहम्मद साहब के कब्र पर पहुचती है। तो वह रो रोकर फरियाद कर रही है नाना आप की उम्मत ने हमे लूट लिया है। आप के नवासे मेरे भाई को तीन दिन का भूखा प्यासा रख कर मारडाला। हमारी चादर छिनली हमको कर्बला से कूफा कूफा से शाम दर दर फिराया। हम पर इतने जुल्म किया हम ब्यान नही कर सकते नाना आप की उम्मत ने हमारे 18 भाई भतीजो को मार डाला ,हमारे अब्बास के दोनों हाथ काट दिए। अकबर के सीने पर बरछी मार कर शहीद कर दिया यही नही हमारे छ: महीने के असगर को नही छोड़ा तीर से उसको भी मार डाला ।हमारे सज्ज़ाद को जंजीर से बाधा ।क्या क्या बताउ नाना हमको रस्सियों से बाधा हम को बन्दी बनाया कोई ऐसा जुल्म नही है जो हम पर नही हुआ हो।इस बया को सुनकर हर सख्श की आँखे नम हो गई और रोने की आवाज़ से लोग इमाम हुसैन को श्रद्धांजलि अर्पित की बाद में सैय्यद आमीर हसन आमीर द्वारा

“बड़े ख़ुलूस से फरशे अजा बिछाता है।

हुसैन आप को हिन्दुस्तान बुलाता है।”

हर एक गाँव यहा कर्बला बसता है

हुसैन आप को हिन्दुस्तान बुलाता है

नौहा पेश किया इस नौहा द्वारा बताया गया की हुसैन

(1)भारत में जो आजाता हृदय में उतारा जाता

( 2)नाती था मुहम्मद का धोके से न मारा जाता।

इस कार्य क्रम को सफल बनाने में अलमदार, मौलाना मुझहिर हुसैन, शमीम हैदर, साज़िद हुसैन, फ़िरोज़ हैदर,अन्नू,हैदर अली,सफकत तक़ी,मौलाना नसीमुल हसन, ज़फ़र मेंहदी,नूर मोहम्मद,मुहम्मद जोहेर, मुहम्मद अली, नसीम शायर , सय्यद कुल्लन मिया,मज़हर हुसैन, मोबारक हुसैन, गुलाम अब्बास, ज़हीर हसन , आदि लोग मौजूद रहे।

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