बिहार के बाबा गरीबनाथ मंदिर में न्यास समिति के विरोध में धरना जारी, भक्तों को हो रही परेशानी
Baba Garibnath temple in Bihar continues to protest against the trust committee, devotees are in trouble
मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बाबा गरीबनाथ धाम को बिहार का ‘देवघर’ कहा जाता है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते हैं। लेकिन, एक सप्ताह से यहां के पुजारी मंदिर न्यास समिति के निर्णय के विरुद्ध में धरने पर बैठे हैं। इसके चलते आने वाले भक्तों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
फूल बेचने वालों के भी इस आंदोलन में शामिल होने के बाद मंदिर के आसपास फूल भी नहीं मिल रहा।
दरअसल, न्यास समिति ने करीब एक सप्ताह पहले मंदिर के दो पुजारियों पर मंदिर के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी थी, इसके बाद पुजारी धरने पर बैठ गए। धरना बुधवार को आठवें दिन भी जारी है।
मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए पहुंच रहे हैं। लेकिन, दुकानें बंद रहने के कारण उन्हें न तो जलपात्र मिल रहा है और न ही फूल-माला। ऐसे में उन्हें बाबा का जलाभिषेक किए बगैर ही मंदिर से निराश होकर लौटना पड़ रहा है।
काफी संख्या में श्रद्धालु सत्यनारायण भगवान की पूजा के लिए भी आ रहे हैं, लेकिन पंडितों ने पूजा कराने से इनकार कर दिया है।
बताया जा रहा है कि 22 जुलाई से सावन की शुरुआत होने वाली है। इसमें लाखों श्रद्धालु बाबा गरीबनाथ मंदिर में जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। लेकिन, मंदिर में तैयारी के नाम पर अब तक कुछ भी नहीं है। धरना-प्रदर्शन से मंदिर की व्यवस्था लचर है।
श्री गरीबनाथ मंदिर न्यास समिति का कहना है कि बाबा गरीबनाथ मंदिर के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है। बीते 26 मई को बाबा गरीबनाथ मंदिर न्यास समिति में लिए गए निर्णय के अनुसार अभिषेक पाठक और शिबू पाठक को मंदिर परिसर में दो वर्ष के लिए प्रवेश निषेध कर दिया गया है। इनके विरुद्ध लगातार शिकायत मिल रही थी कि ये मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं से नाजायज तरीके से पैसे की वसूली करते हैं और श्रद्धालुओं को परेशान करते हैं।
इधर, धरना दे रहे लोगों का कहना है कि मंदिर में पुजारी नहीं जाएंगे तो कौन जाएगा। मंदिर वर्षों से चल रहा है। ये लोग न्यास समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सचिव को हटाने की मांग पर अड़े हैं।
इनका आरोप है कि अध्यक्ष मिहिर कुमार सिंह पुजारियों को गालियां देते हैं। पुजारियों ने कहा कि आज से अब अनशन शुरू किया जा रहा है।
अभिषेक पाठक ने आईएएनएस को बताया कि दान पात्र में मिली राशि भी मंदिर के उपयोग में नहीं आती है। दान पात्र महीनों में खोला जाता है तो अधिकांश रुपए सड़े गले निकलते हैं।