मनुष्य मनु सतरूपा ने तपस्या कर भगवान को पुत्र के रूप में प्राप्त किया

 

जिला संवाददाता, देवरिया

 

अनंत महाप्रभु , जयंती महोत्सव के तीसरे दिन, अवध धाम से पधारे हुए व्यास मनमोहन जी महाराज ने कहा कि तपस्या में वह ताकत है कि भगवान को पुत्र बनना पड़ता है रामचरितमानस से उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि महाराज मनु और शतरूपा ने चौथे पान में अपना राज पाठ अपने बेटे को देकर नैमिषारण्य तीर्थ में कठिन तपस्या की और चतुर्भुज रूप में भगवान ने दर्शन दिया से भगवान ने कहा कि बरमानी जिस पर महाराज मनु और शतरूपा ने भगवान को पुत्र के रूप में मांग लिया भगवान ने वचन दिया कि मैं अगले जन्म में जब आपको संध्या और दशरथ के रूप में होंगे तो पुत्र होकर आऊंगा जीव परमात्मा से जैसा चाहे अपना संबंध स्थापित कर सकता है

कथा व्यास ने बताया कि ब्रह्मा जी सृष्टि के रचना के समय मनु और शतरूपा को पृथ्वी पर अवतरित कर सुंदर संसार की रचना करने का काम दिया। उन्होंने बताया कि सतरूपा यदि माया है तो मनु प्रकृति हैं बिना दोनों की इस संसार की संरचना नहीं होती आज के सांसारिक एवं मोह माया छोड़कर मनु और शतरूपा ने भगवान का शरण लिया जिसका परिणाम यह हुआ कि भगवान को पुत्र बनना पड़ा कथा के अवसर पर प्रेम शंकर पाठक प्रधानाचार्य श्री कृष्णा इंटर कॉलेज डॉक्टर किरण पाठक अशोक शुक्ला पीयूष मिश्रा परशुराम पांडे सुभाष यादव ओमप्रकाश दुबे हरिशंकर पांडे अनमोल मिश्रा वेद प्रकाश सिंह डॉक्टर आरती पांडे डॉ गायत्री मिश्रा डॉ राम विश्वास पांडे आलोक प्रकाश श्रीवास्तव परशुराम पांडे सहित काफी संख्या में श्रद्धालु जन उपस्थित रहे। कथा मंच का संचालन पंडित विनय मिश्रा ने किया

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