केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी की जर्मनी की तीन दिवसीय यात्रा संपन्न, ऊर्जा सहयोग पर रहा जोर

Union Minister Prahlad Joshi's three-day visit to Germany concluded, emphasis was on energy cooperation

नई दिल्ली। केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने जर्मनी की अपनी तीन दिवसीय यात्रा पूरी की। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने ‘हैम्बर्ग स्थिरता सम्मेलन’ में मुख्य भाषण दिया और वैश्विक नेताओं के साथ कई द्विपक्षीय बैठकें कीं। यात्रा के दौरान हुई बैठकों-मुलाकातों ने ऊर्जा क्षेत्र में गहन सहयोग के लिए एक मजबूत नींव रखी।

7 अक्टूबर को हैम्बर्ग स्थिरता सम्मेलन में दिए अपने भाषण में जोशी ने भारत में ऊर्जा क्षेत्र में हो रहे परिवर्तन को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत ने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के प्रशासक अचिम स्टेनर के साथ केंद्रीय मंत्री की बैठक भारत के बढ़ते अक्षय ऊर्जा परिदृश्य और सतत विकास के लिए भविष्य के सहयोग पर केंद्रित रही।

केंद्रीय मंत्री, हरित ऊर्जा के क्षेत्र में साझा प्राथमिकताओं पर चर्चा करने के लिए जर्मनी की आर्थिक सहयोग और विकास मंत्री स्वेनजा शुल्जे से भी मिले।

जोशी ने जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के साथ भी बातचीत की। उन्होंने मिस्र के पेट्रोलियम और प्राकृतिक संसाधन मंत्री करीम बदावी से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों व सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।

केंद्रीय मंत्री ने एशियाई विकास बैंक की उपाध्यक्ष रॉबर्टा कैसाली से भी मुलाकात की और भारत में अक्षय ऊर्जा निवेश पर विचार-विमर्श किया।

बर्लिन में केंद्रीय मंत्री का जर्मनी के उप-कुलपति तथा आर्थिक मामलों और जलवायु कार्रवाई के संघीय मंत्री डॉ. रॉबर्ट हेबेक ने गर्मजोशी से स्वागत किया।

डॉ. हेबेक ने केंद्रीय मंत्री जोशी के समक्ष पिछले 10 वर्षों में भारत के नवीकरणीय क्षेत्र की आश्चर्यजनक वृद्धि को स्वीकार किया। वह नवीकरणीय ऊर्जा से मिशन 500 गीगावाट की दिशा में भारत की यात्रा को लेकर बहुत आशावादी हैं।

बर्लिन प्रवास के दौरान जोशी ने भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय प्रवासियों के साथ मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने जर्मनी की अर्थव्यवस्था में उनके योगदान और भारत की वैश्विक उपस्थिति को बढ़ाने में उनकी भूमिका की सराहना की।

प्रह्लाद जोशी की जर्मनी यात्रा अक्षय ऊर्जा सहयोग और ऊर्जा परिवर्तन पहलों में भारत के नेतृत्व को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता के साथ संपन्न हुई।

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