पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के शहादत दिवस पर ।  विशेष ,

 

विनय मिश्र आश्रम बरहज देवरिया।

 

शहीदों के समाधि पर लगेंगे हर वर्ष मेले वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा ।

पूर्वांचल के गांधी बाबा राघव दास एवं पंडित राम प्रसाद बिस्मिल एवं क्रांतिकारी से से गहरा लगाव था भारत माता गुलामी के जंजीरों में जकड़ी हुई थी गुलाम भारत को आजाद करने के लिए पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, भगत सिंह, राजेंद्र लाहडी, सुभाष चंद्र बोस, लाला लाजपत राय,,जैसे क्रांतिकारियों ने सर पर कफन बांधकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था क्रांतिकारियों का एक लक्ष्य था वह था आजाद भारत इस मिशन को लेकर क्रांतिकारियों ने भारत के अंदर घूम-घूम कर जन जागरण पैदा किया अनंत पीठ आश्रम बरहज के द्वितीय पीठाधीश्वर पूर्वांचल के गांधी संत विनोबा के भूदान यज्ञ के हनुमान बाबा राघव दास से इन क्रांतिकारियों का गहरा संबंध है समय-समय पर बाबा राघव दास क्रांतिकारियों का सहयोग करते थे क्रांतिकारी आश्रम में आया जाया करते थे पंडित राम प्रसाद बिस्मिल से बाबा राघव दास के संबंध आत्मिक थे देश की आजादी की लड़ाई में बाबा राघव दास स्वयं नौ बार जेल की यात्रा की थी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी की सजा सुनाई गई और दिन और तारीख भी मुकर्रर कर दी गई 19 दिसंबर 1927 को पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी दी जानी थी यह जानकारी मिलते ही बाबा राघव दास 18 दिसंबर 1927 को गोरखपुर के जिला जेल में अपने परम प्रिय पंडित राम प्रसाद बिस्मिल से मिलने पहुंचे बाबा जी का संत, हृदय था वही पंडित राम प्रसाद बिस्मिल का क्रांतिकारी स्वभाव पंडित राम प्रसाद बिस्मिल बाबाजी के पूर्व बैठकर बातचीत कर रहे थे उसे दौरान पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की आंखों से आंसू निकल पड़े बाबा राघव दास जी ने कहा बिस्मिल तुम तो जानते ही हो आत्मा आज अमर है फिर तुम्हारी आंखों में आंसू कैसा बिस्मिल ने कहा बाबा आपको देखने के बाद मुझे अपने अभिभावक संरक्षक के रूप में आप मुझे जो , स्नेहा और प्यार दिया यह उसी के आंसू है न की फांसी के फंदे पर चढ़ने का भय है। पंडित राम प्रसाद बिस्मिल ने कहा कि एक प्रार्थना है आपसे मेरी फांसी होने के बाद मेरा अंतिम संस्कार आपके कर कमलो द्वारा हो जिसको बाबा राघव दास ने सहर्ष स्वीकार किया पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी के बाद बाबा राघव दास जी ने अभिभावक के रूप में शव प्राप्त कर गोरखपुर के राप्ती के तट पर पंडित राम प्रसाद बिस्मिल का अंतिम संस्कार किया पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के अंतिम संस्कार के अवसर पर हजारों की संख्या में लोग नदी के तट पर उपस्थित रहे, बाबा जी ने बिस्मिल जी का अंतिम संस्कार कर उनका भस्म विशेष अपनी झोली में रखकर अनंत पीठ आश्रम बरहज में लाकर स्थापित कर समाधि बनाई जिसको लेकर अंग्रेजों ने दिसंबर 1927 से देश की आजादी 1947 के बीच कई बार आश्रम पर बिस्मिल की समाधि ढूंढते हुए आए लेकिन समाधि नहीं मिली जिसको लेकर आश्रम द्वारा संचालित उद्योग एवं राष्ट्रभाषा विद्यालय को अंग्रेजों ने जला कर रख कर दिया था और वर्धा आश्रम की तरह आश्रम बरहज भी बैन कर दिया , देश की आजादी के बाद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की भव्य समाधि बनाई गई और पंडित राम प्रसाद की प्रतिमा मंदिर परिसर में स्थापित की गई 19 दिसंबर को प्रतिवर्ष शहादत दिवस के अवसर पर हजारों श्रद्धालु एकत्र होकर पुष्पांजलि अर्पित करते हैं और शहीद दिवस के रूप में कार्यक्रम मनाया जाता है इस वर्ष भी आश्रम के वर्तमान पीठाधीश्वर आजनेयदास जी महाराज की अध्यक्षता में कल19, दिसंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा जिसमें क्षेत्र के संभ्रांत एवं गणमान्य जन उपस्थित रहेंगे।

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